नई दिल्ली: राजधानी दिल्ली में घूमते फिरते आपने कई बार दिल्ली पुलिस को देखा होगा, ड्यूटी पर मुस्तैद, इलाके का गश्त लगाते हुए या फिर ट्राफिक नियंत्रित करते हुए. दिल्ली पुलिस की गाड़ियों पर भी आपने कई बार एक लाइन लिखी हुई देखी होगी ‘ दिल्ली पुलिस आपके साथ सदैव’.
इसमें कोई शक नहीं कि दिल्ली पुलिस अपनी पूरी क्षमता और जिम्मेदारी निभाती है लेकिन कई बार कुछ ऐसे मामले सामने आ जाते हैं जो हमें पुलिस की कार्यशैली पर सवाल खड़े करने पर मजबूर कर देती है. ऐसा ही एक वाक्या फिर एक बार सामने आया है जहां वीवीआईपी मुवमेंट की वजह से पुलिस ने सड़क पर बैरिगेंटिग कर दी. इस दौरान जाम लग गया और उसमें एक एंबुलेंस फंस गई जिसमें एक छोटा बच्चा था. गंभीर रूप से घायल उस बच्चे को अस्पताल पहुंचाना बहुत जरूरी था क्योंकि उसके सिर से काफी खून बह रहा था.
बच्चें के परिजनों ने पुलिसवालों से बैरिकेटिंग हटाने की गुहार लगाई लेकिन ड्यूटी पर तैनात पुलिसकर्मियों के कान पर जूं तक नहीं रेंगी. इस दौरान एंबुलेंस का ड्राइवर भी पुलिसवालों से एंबुलेंस को जाने देने की बात कहता रहा लेकिन पुलिसवालों पर कोई फर्क नहीं पड़ा. जाम में फंसे लोग ये तक कहने लगे कि उन्हें बेशक मत निकलने दीजिए लेकिन एंबुलेंस को जाने दीजिए क्योंकि एक बच्चे की जिंदगी का सवाल है लेकिन पुलिसकर्मियों पर कोई असर नहीं पड़ा. वीवीआईपी लोगों के जाने के बाद ही पुलिस ने बैरिकेटिंग हटाई जिसके बाद एंबुलेंस वहां से निकल पाई.
उस घायल बच्चे का क्या हुआ इस बारे में फिलहाल कोई जानकारी नहीं है, लेकिन इस घटना ने दिल्ली पुलिस की कार्यशैली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं. सवाल ये कि क्या लोगों की सेवा और उनकी रक्षा की कसम लेकर वर्दी पहनने वाली पुलिस के लिए लोगों की जान से बढ़कर वीवीआईपी मुवमेंट है? अगर उस बच्चे को कुछ हो जाता है तो क्या दिल्ली पुलिस उस बच्चे की मौत की जिम्मेदारी लेगी?