नई दिल्ली: दिल्ली की अदालत ने एक मामले में फैसला सुनाते हुए महिला के मासिक अंतरिम गुजारा भत्ते में बढ़ोत्तरी करने से साफ इंकार कर दिया है. कोर्ट का कहना है कि पति की कमाई पर ही आश्रित नहीं रहा जा सकता.
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि यह अपेक्षा नहीं की जा सकती कि वह घर पर ही बेकार बैठी रहे और अपने पति की कमायी पर ही आश्रित रहे क्योंकि वह अपने पति से कहीं अधिक पढ़ी लिखी है.
कोर्ट ने यह फैसला उस महिला की मांग पर सुनाया है जिसने कोर्ट से अपील करते हुए कहा था कि उसे मिलने वाले 5,500 रुपये के मासिक अंतरिम भत्ते में इजाफा कर 25,000 कर दिया जाए. कोर्ट ने इस याचिका को खारिज करते हुए कहा कि याचिकाकर्ता खुद एक शिक्षित महिला है और वो अपने अलग हो चुके पति से कही अधिक शिक्षित है.
इसके अलावा महिला के पास एमए, बी.एड और एलएलबी जैसी डिग्रियां हैं. ऐसे में यह नहीं लगता कि वह घर पर बेकार बैठी रहे और अपने पति की कमाई पर आश्रित रहे. बता दें कि साल 2008 में महिला को हर महीने 5,000 रुपये बतौर गुजारा भत्ता देने का आदेश दिया था. इसके बाद साल 2015 में इस राशि में 10 प्रतिशत का इजाफा किया गया. लेकिन महिला ने अपनी अर्जी में इसे बढ़कर 25,000 रुपये करने की मांग की थी