देहरादून : उत्तराखंड को देवों की भूमि कहा जाता है. इस राज्य में आस्था के साथ-साथ कुछ मिथक भी हैं. ये मिथक उत्तराखंड की राजनीति से जुड़े हुए हैं. लोगों का मानना है कि उत्तराखंड की गंगोत्री सीट से जिस दल का प्रत्याशी चुनाव जीता है राज्य में उसी दल की सरकार बनती आई है. ठीक एक ऐसा मिथक राज्य के एक मंत्रालय को लेकर भी है.
दरअसल, शिक्षा मंत्रालय को लेकर उत्तराखंड में एक मिथक बन गया है कि जिसके पास भी यह विभाग जाता है आगामी विधानसभा चुनाव में उस नेता का हार होती है. सूत्रों का यह भी कहना है कि शिक्षा विभाग की कमान संभालने को कोई भी मंत्री तैयार नहीं होता है. इसके पीछे उस मिथक को ही वजह माना जा रहा है.
देखिए क्या कहते हैं तथ्य
उत्तराखंड में जब सबसे पहले भाजपा की सरकार बनी थी तो उस समय में शिक्षा मंत्रालय तीरथ सिंह रावत के पास था, जो 2002 में हुए पहले विधानसभा चुनाव में हार गए थे. 2007 तक ये मंत्रालय नरेंद्र भंडारी के पास था जो 2007 के विधानसभा चुनाव हार गए. 2012 में शिक्षा मंत्रालय बीजेपी के मातबर सिंह कंडारी के पास गया और 2012 में मातबर सिंह कंडारी चुनाव हार गए.
2017 के विधानसभा चुनाव से पहले ये मंत्रालय प्रसाद नैथानी के पास था जो हाल ही में संपन्न हुए चुनावों में अपनी सीट हार गए हैं. बहरहाल, उत्तराखंड की त्रिवेंद्र सरकार ने मंत्रियों के विभागों का बंटवारा कर दिया है.
इस दफा ये मंत्रालय गदरपुर से बीजेपी विधायक और कैबिनेट मंत्री अरविंद पांडेय को दिया गया है. अरविंद साल 2002 से लगातार इस सीट से चुनाव जीतते आए हैं. इस बार गदरपुर सीट से चुनाव जीतकर उन्होंने जीत का चौका लगाया है. अब उनके साथ भी मंत्रालय का मिथक कायम रहता है या नहीं ये तो अगले चुनाव में भी पता लग पाएगा.