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कानपुर चिड़ियाघर के जानवरों को नहीं मिल रहा है मीट

कानपुर.  उत्तर प्रदेश में अवैध बूचड़खानों पर हो रही कार्रवाई से कानपुर चिड़ियाघर के जानवरों के खाने के लाले पड़ गए हैं. हालात यह है कि 100 से भी अधिक दुर्लभ प्रजाति के जानवरों को पिछले 24 घंटे से मीट का एक टुकड़ा भी नसीब नहीं हुआ है. विशेषज्ञों का कहना है कि हालात अगर […]

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  • March 24, 2017 9:57 am Asia/KolkataIST, Updated 8 years ago
कानपुर.  उत्तर प्रदेश में अवैध बूचड़खानों पर हो रही कार्रवाई से कानपुर चिड़ियाघर के जानवरों के खाने के लाले पड़ गए हैं.
हालात यह है कि 100 से भी अधिक दुर्लभ प्रजाति के जानवरों को पिछले 24 घंटे से मीट का एक टुकड़ा भी नसीब नहीं हुआ है.
विशेषज्ञों का कहना है कि हालात अगर ऐसी ही रहे तो शेर जैसे जानवरों की जान भी जा सकती है. डॉक्टरों का कहना है कि इस समय कानपुर चि़ड़ियाघर में लगभग 12 से ज्यादा मांसाहारी जानवर गर्भवती हैं.
जिसमे सबसे ज्यादा चिंता की बात शेरनी और मादा चीता के गर्भ में पल रहे बच्चों के स्वास्थ की है. दुर्लभ प्रजाति के इन इन प्राणियों में भूख के कारण बच्चो की मौत होने की आशंका ज्यादा है. 
कितने हैं मांसाहारी जानवर
कानपुर प्राणी उद्यान के आंकड़ो के मुताबिक एशिया के इस विख्यात जूलोजिकल पार्क में 100 से ज्यादा मांसाहारी प्राणी हैं जिनमें 11 शेर, 2 सफेद शेर, 12 लेपर्ड के अलावा मगरमच्छ, घड़ियाल, तेंदुआ, सियार, लोमड़ी और कई मांसाहारी पक्षी है.
इन सबको रोजाना करीब 200 किलो से ज्यादा मांस की जरूरत पड़ती है. बूचड़खानें बंद हो जाने से इन मांसाहारी प्राणियों की जान पर बन आई है
पहले हो रहे थे पागलपन के शिकार
 कानपुर प्राणी उद्यान के जानवर समाजवादी पार्टी सरकार की ओर से बगल में ही शुरू की गई बहुमंजिली इमारतों की योजना से पागलपन का शिकार हो रहे हैं.
ऐसे में भारतीय जनता पार्टी के बूचड़खानों पर रोक के आदेश के बाद जानवरों के दोहरी मार का सामना कर रहे हैं.
 
 

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