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सर्वे में खुली दिल्ली के सार्वजनिक शौचालयों की पोल, सामने आए चौकाने वाले आंकड़े

नई दिल्ली: स्वच्छता को लेकर पूरे देश में मुहीम चल रही है. लोगों को खुले में शौच की जगह शौचालय में जाने के लिए प्रोत्साहित किया है. लेकिन बड़ा सवाल ये है कि क्या इतनी मात्रा में शौचालय हैं? एक्शन एड इंडिया ने इसी तरह का एक सर्वे राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में किया है जिसकी रिपोर्ट बताती है कि हर तीन में से एक शौचालय में महिलाओं के लिए अलग से व्यवस्था नहीं है.
विजन ऑफ दी सिटी कैंपेनिंग के तहत पिछले साल दिसंबर में किए गए सर्वे में सामने आया था कि दिल्ली में मौजूद करीब 35 फीसदी शौचालयों में महिलाओं के लिए अलग से कोई व्यवस्था नहीं है. दिल्ली नगर निगम और नई दिल्ली नगर निगम मिलकर के पास कुल 229 शौचालयों के रख-रखाव की जिम्मेदारी है. इनमें से ज्यादातर शौचालयों के रख-रखाव का काम आउटसोर्स के जरिए कराया जाता है.
सर्वे में एक और बात जो सामने आई वो ये कि करीब 71 फीसदी शौचालयों को नियमित रूप से साफ नहीं किया जाता है. इस दौरान शौचालय इस्तेमाल करने वाले लोगों से जब उनकी राय पूछी गई तो ज्यादातर ने सफाई को मुख्य मुद्दा बताया. इसके अलावा 72 फीसदी शौचालयों में साइन बोर्ड नहीं है वहीं 76 फीसदी शौचालयों में ब्रेल लिपी में शौचालय नहीं लिखा है जिससे नेत्रहीन व्यक्ति शौचालय का पता लगा सकें. 76 फीसदी शौचालयों में बुजुर्गों के चढ़ने की सुविधा नहीं है.
इस दौरान एक और निराशाजनक बात पता चली वो ये कि 38 फीसदी सेप्टिक टैंकों को अब भी टैंक के भीतर जाकर साफ करना पड़ता है.
महिलाओं के लिए शौचालय की बात करें तो 229 में से 149 शौचालयों में महिलाओं के लिए अलग से व्यवस्था थी लेकिन वहां भी सफाई और सुरक्षा की कमी नजर आई.
66 फीसदी से ज्यादा महिला शौचालय में फ्लश चालू नहीं है, वहीं 53 फीसदी शौचालय में पानी नहीं आता, 51 फीसदी शौचालयों में हाथ धोने की व्यवस्था नहीं है. 61 फीसदी शौचालों में हाथ धोने का साबुन नहीं है, जोकि महिला शौचालय में साफ सफाई के लिहाज से बड़े सवाल खड़े करता है.
सर्वे में ये भी पाया गया कि 28 फीसदी शौचालयों में दरवाजा नहीं है वहीं 45 फीसदी शौचालयों में अंदर से कुंडी लगाने का कोई विकल्प नहीं है. इनमें से आधे में ना तो अंदर बिजली की व्यवस्था हैं और ना ही बाहर से रौशनी का कोई साधन. 46 फीसदी शौचालयों के बाहर गार्ड नहीं है जोकि सुरक्षा की दृष्टि से बड़ी चूक है.
सर्वे में सामने आई इन बातों को लकेर एक्शन एड की निदेशक सहजो सिंह ने कहा- महिलाओं के प्राथमिक अधिकारों को लंबे समय से नजरअंदाज किया जा रहा है और अब समय आ गया है जब हमें इसे देश के सामने एक प्रमुख मुद्दे की तरह रखना चाहिए
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