अहमदाबाद : एशियाटिक शेरों के लिए अंतिम घर माने जाने वाले गुजरात के गिर अभ्यारण से बुरी खबर आई है. गुजरात के गिर में शेरों के मरने की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है. पिछले एक साल में 12 शेर मौत की भेंट चढ़ चुके हैं.
2015 में पांच साल बाद गिर में शेरों की गिनती हुई थी, जिनमें शेरों की संख्या बढ़ने का खुलासा हुआ था और गिर में 523 शेर देखे गए थे, लेकिन किसी को पता नहीं था कि अगले साल बुरी खबर मिलने वाली है, जी हां गिर में शेरों की मौत का सिलसिला रुकने का नाम नहीं ले रहा.
आरटीआई एक्टिविस्ट भगवान सोलंकी की ओर से मांगी इन्फॉर्मेशन में चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं, 2015 अप्रैल से 2016 मार्च तक शेरों की मौत के आंकड़े पर नजर डाली जाए तो 12 शेर मौत की भेट चढ़ चुके हैं, जिनमें से 25 शेरों की अकाल मौत हुई है.
गुजरात के गिर में हर शाल 80 से ज्यादा नन्हें शेरों का जन्म होता हे, लेकिन हर साल 50 से ज्यादा शेरों की मौत भी होती है, लेकिन 2015 से 2016 यानी एक साल में 12 शेरों की मौत ने गिर और सिंह प्रेमिओ में हड़कम्प मचा दिया है.
लोगों का कहना है कि फॉरेस्ट की लापरवाही और पुराने तरीकों की वजह से शेरों की मौत हो रही है. आरटीआई में शेरों के जन्म के भी आंकड़े मांगे गए थे मगर अभ्यारण अधिकारियों ने शेरों के जन्म के आंकड़े नहीं दिए.
पिछले चार साल में गिर में हुए शेरों की मौत पर नजर डाले तो, 2012 में 52 शेरों की मौत हुई जिनमें 5 शेर अकुदरती तरीकों से मरे थे, वहीं 2013 में 76 शेरों की मौत हुई थी जिनमें से 7 शेर अकुदरती तरीकों से मरे थे, 2014 में 78 शेरों की मोत हुई थी जिनमें 13 शेर अकुदरती तरीके से मरे थे. 2015 में 120 शेरों की मौत हुई थी जिनमें से 25 शेर अकुदरती तरीके से मरे थे.