नई दिल्ली : शॉपिंग के दौरान अगर कभी वॉशरूम जाने की जरूरत पड़ जाए तो हम हमेशा इस सोच में डूब जाते हैं कि आखिर कहां जाएं, क्योंकि सार्वजनिक शौचालय की कमी हमसे छुपी नहीं है. लेकिन अब साउथ दिल्ली इलाके में आपकी यह समस्या दूर होने जा रही है. साउथ दिल्ली इलाके के होटल, रेस्तरां और अन्य भोजनालय के वॉशरूम अब सार्वजनिक इस्तेमाल के लिए खोले जाएंगे अगले महीने से कोई भी 5 रुपये देकर यह सेवा ले सकता है.
साउथ दिल्ली म्यूनिसिपल कॉर्पोरेशन (एसडीएमसी) ने यह फैसला करते हुए कहा कि इससे आम लोगों के लिए 4000 से अधिक वॉशरूम तक पहुंच आसान बन जाएगी. इसके लिेए रेस्तरां मालिकों को हेल्थ ट्रेड लाइसेंस जारी किए गए हैं. एसडीएमसी के कमिश्नर पुनीत कुमार गोयल ने कहा, ‘इस लाइसेंस के लिए एक शर्त है कि इसे कॉर्पोरेशन किसी भी समय बदल सकता है. यह महिलाओं के लिए विशेष रूप से लाभदायी है, जो बाजार में टॉइलट की कमी की समस्या से जूझ रही हैं.’
गोयल ने कहा कि इस तरह की सुविधाएं यूरोपीय देशों में है. यह ट्रेंड सेटिंग कदम है और इससे दिल्ली और दूसरे शहरों के नगर निगम भी प्रेरित होंगे. हालांकि, रेस्तरां प्रबंधकों को इसको लेकर कुछ संदेह है. ट्रेड एसोसिएशन का कहना है कि इस तरह किसी पर दबाव नहीं बनाया जाना चाहिए. रेस्टोरेंट एसोसिएशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष रियाज अमलानी ने कहा, ‘यह हमारे प्रवेश के अधिकार का हनन करेगा. इससे सुरक्षा को भी खतरा हो सकता है.’
वहीं, नगर निगम अधिकारियों का कहना है कि उप राज्यपाल अनिल बैजल ने एसडीएमसी को रेस्तरां और होटल में आम लोगों के लिए टॉयलेट खोलने की संभावना तलाशने को कहा था. जिसके बाद विचार-विमर्श कर यह फैसला किया गया. वही रेस्तरां एसोसिएशन का कहना है कि आगे की कार्रवाई से पहले यह इस कदम की बारिकियों को देखेगा. अमलानी ने कहा, ‘मैं इस कदम के पीछे के मकसद का स्वागत करता हूं. वैसे भी लोग हमारा सामान नहीं खरीदते, लेकिन वॉशरूम इस्तेमाल करते हैं. हम देखेंगे कि हमारे प्रवेश के अधिकार और सुरक्षा का हनन तो नहीं हो रहा.’
एसडीएमसी ने 4.586 हेल्थ ट्रेड लाइसेंस जारी किए हैं. गोयल ने कहा, ‘इनमें कई काफी छोटे हैं और उनमें टॉयलेट नहीं हैं. लेकिन 4000 से अधिक में टॉयलेट हैं, जो टैक्स पेयर्स पर बिना अतिरिक्त भार डाले खोले जा रहे हैं.’ रेस्तरां मालिक यह सुविधा फ्री में दे सकते हैं, लेकिन वे 5 रुपये से अधिक नहीं शुल्क नहीं ले पाएंगे. उन्होंने कहा, ‘रेस्तरां के रखरखाव का खर्च उसकी हालत पर निर्भर करता है, लेकिन हमने 5 रुपये से ज्यादा न लेने का फैसला किया है क्योंकि आर्थिक रूप से कमजोर लोग इसका इस्तेमाल नहीं कर पाएंगे.’