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अगर 10 साल बाद बादल परिवार से छिना पंजाब तो ड्रग्स समेत ये हैं बड़े कारण

चंडीगढ़: पंजाब के लिए तमाम एग्जिट पोल नतीजों में अकाली गठबंधन का सूपड़ा साफ नजर आ रहा है. 117 सीटों वाले पंजाब विधानसभा चुनाव में गठबंधन दहाई का आंकड़ा भी पार करता नहीं दिख रहा है. पंजाब की सत्ता पर 10 साल से काबिज अकाली सरकार का राज एग्जिट पोल नतीजों से खत्म होता नजर आ रहा है. चुनाव में सत्ता विरोध की ऐसी लहर चली कि पार्टी का पूरी तरह से सफाया होता दिख रहा है.
इंडिया न्यूज़ MRC के एग्जिट पोल
इंडिया न्यूज़ MRC के एग्जिट पोल में अकाली-बीजेपी गठबंधन को पंजाब में सिर्फ 7 सीटें मिलती नजर आ रही हैं. जबकि न्यूज 24-टुडेज चाणक्या ने गठबंधन को 9 सीटें दी हैं. इंडिया टुडे-एक्सिस ने गठबंधन को 4-7 सीटें मिलने का अनुमान लगाया है. जबकि इंडिया टीवी-C वोटर के एग्जिट पोल नतीजों में इसे 5-13 सीटें मिलती नजर आ रही हैं. इन सबका औसत निकालने पर 7 सीटें आती हैं. यानी पंजाब की सत्ता से अकाली-बीजेपी गठबंधन की विदाई तय मानी जा रही है.
पंजाब में अकाली के लिए संकेत
अगर एग्जिट पोल के नतीजे सच साबित हुए तो अकाली दल की ये अब तक की सबसे बड़ी हार होगी. चुनाव से पहले ही अलग अलग वजहों से अकाली दल की लोकप्रियता जनता में कम हो गई थी. इसमें सबसे बड़ा मुद्दा ड्रग्स का था. पंजाब सरकार में मंत्री और बादल परिवार के करीबी ब्रिक्रमजीत सिंह मजीठिया पर ड्रग्स कारोबार के गंभीर आरोप लगे.
इसके अलावा 10 साल के सत्ता विरोध लहर ने भी चुनाव में पार्टी का खूब नुकसान किया. 89 साल के सीएम युवाओं को जोड़ने में नाकाम होते दिखे. चुनाव से पहले मालवा इलाके में गुरुग्रंथ साहिब के अपमान की कई घटनाएं सामने आईं. इसके अलावा 2015 में यहां कपास की फसल बर्बाद हो गई थी, जिसके बाद कई किसान सरकार से नाराज चल रहे थे. SYL के मुद्दे को लेकर भी लोग नाराज चल रहे थे.
अंदर की बात
अंदर की बात ये है कि 2014 के लोकसभा चुनाव के नतीजों से ही तय हो गया था कि पंजाब में अकाली दल और बीजेपी गठबंधन की लोकप्रियता का पूरी तरह सत्यानाश हो चुका है. मोदी की लहर में अकाली-बीजेपी गठबंधन ने लोकसभा चुनाव में तो लाज बचा ली, लेकिन विधानसभा चुनाव में क्षेत्रीय मुद्दे हावी रहे और आम आदमी पार्टी-कांग्रेस ने ड्रग्स, किसानों की बदहाली जैसे मुद्दों पर इतना हमला किया, जिससे अकाली-बीजेपी गठबंधन के नेता चुनाव प्रचार के दौरान ही पस्त हो गए.
एग्जिट पोल के नतीजों के बाद तो अब ये खतरा भी पैदा हो गया है कि प्रकाश सिंह बादल और सुखबीर बादल अपनी सीट भी बचा पाएंगे या नहीं ? हालांकि अकाली-बीजेपी गठबंधन को धुंधली सी उम्मीद है कि एंटी इनकम्बैसी वाले वोट कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के बीच बंटेंगे, जिससे गठबंधन का पूरी तरह सफाया होने से बच जाएगा.
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