तिरुअनंतपुरम: केरल के कोझीकोड में आरएसएस के कार्यालय में हुए हमले के बाद जिले के विश्णुमंगल इलाके में सीपीएम दफ्तर में लगाकर फूंक डाला गया है.
इसके बाद से पूरे जिले में तनाव बढ़ गया है. दरअसल हाल ही में आरएसएस के एक पदाधिकारी ने बयान दिया था कि संघ के 30 कार्यकर्ताओं की हत्या हो चुकी है.
संघ नेता ने कह दिया कि इसकी जिम्मेदार राज्य सरकार है. अगर कोई सीएम पिनारी विजयन का सिर लेकर आएगा तो उसे एक करोड़ रुपए दिया जाएगा.
इसी के बाद से विवाद बढ़ गया और आरएसएस-सीपीएम के कार्यकर्ता एक दूसरे से भिड़ गए हैं. दरसअल केरल में राजनीतिक हिंसा होना कोई पहला मामला नहीं है.
पहले यह कांग्रेस और वामपंथी कार्यकर्ताओं के बीच झड़पें होती थीं लेकिन बीते कुछ साल से अब आरएसएस और सीपीएम के बीच खूनी सियासत हो रही है.
अभी तक कितनी राजनीतिक हत्याएं हुई हैं इसका कोई सही आंकड़ा तो नहीं, पर अनुमान है कि इस साल मई में में सीपीएम के सत्ता में आने के बाद अभी तक आरएसएस और भाजपा के 10 कार्यकर्ताओं की हत्या हो चुकी हैं.
हालांकि केरल के कई इलाकों में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) और मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीएम) कार्यकर्ताओं के बीच मारपीट या हिंसा जैसे आम बात हो चुकी है. भाजपा और सीपीएम के नेता मारपीट करते रहे हैं और एक-दूसरे के दफ्तर में भी आए दिन बम फेंकते रहते हैं.
2006 के बाद बीजेपी-संघ 34 कार्यकर्ताओं की हत्या
केरल में इस राजनीतिक लड़ाई में 2006 के बाद अबतक लगभग 135 लोगों की हत्या हो चुकी है. जिनमें अकेले बीजेपी-संघ के 34 कार्यकर्ता थे. सिर्फ कन्नूर जिले में अब तक 50 लोगों की जान जा चुकी है.
पिछले 20 साल में 250 कार्यकर्ताओं की हत्या ?
आरएसएस ने आरोप लगाया कि राज्य में पिछले 20 साल में उनके 250 कार्यकर्ताओं की हत्या हो चुकी है.
हालांकि इस बीच सीपीएम कार्यकर्ताओं की भी हत्याएं और उन पर जानलेवा हमले हुए हैं. सीपीएम की ओर से दावा किया गया है कि 2006 के बाद से उसके 64 कार्यकर्ताओं की मौत हो चुकी है.
केरल में पहले वामपंथियों और कांग्रेसी कार्यकर्ताओं के बीच खूनी हिंसा होती रही है लेकिन पिछले एक दशक में अब ये लड़ाई आरएसएस और लेफ्ट के बीच हो रही है.
जानकारों का मानना है कि केरल में सीपीएम सत्ता में है तो केंद्र में बीजेपी है. दोनों के बीच यह लड़ाई मई 2016 में हुए विधानसभा चुनाव के बाद से ज्यादा बढ़ गई है.
जिसके चलते आए दिन विवाद होता रहता है. इन हत्याओं को भी इस राजनीति का हिस्सा माना जा रहा है.