मुंबई: अक्सर आप रेस्टोरेंट जाते होंगे तो ज्यादातर देखते होंगे कि वेटर आपसे आपका ऑर्डर पूछते हैं लेकिन आप कभी ऐसे किसी रेस्टोरेंट में गए हैं जहां पर आप अपने खाने का ऑर्डर बोल कर नहीं बल्कि सांकेतिक भाषा में दें और वेटर भी उसे तुरंत समझ कर फौरन आपका दिया हुआ ऑर्डर आपके सामने पेश कर दे.
ऐसी ही अनोखी कोशिश की है प्रशांत इस्सर और अनुज शाह ने मुबंई में, जहां पर 1 या 2 नहीं बल्कि 60 ऐसे लोग काम करते हैं जो मूक बधिर हैं और ज्यादातर ये सभी वेटर का काम करते हैं.
विदेश से आने के बाद शूरू किया कारोबार
प्रशांत और अनुज काफी साल विदेश में रहने बाद भारत लौटे तो उन्होंने अपने कारोबार के साथ ऐसे लोगों को जोड़ा, जो बोल या सुन नहीं सकते, लेकिन वो आम लोगों से बेहतर समझ सकते हैं, उनसे बढ़िया काम कर सकते हैं और सबसे खास बात यह है की काम के बोझ के बावजूद हर वक्त वो अपने चेहरे पर मुस्कान बनाए रखते हैं. मुंबई के पवई में ‘मिर्च एंड माइम’ देश का पहला ऐसा रेस्टोरेंट हैं, जहां पर काम करने वाले सभी महिला और पुरुष वेटर मूक और बधिर हैं.बेसहारा लोगों के लिए कुछ कर गुजरने की इच्छा ही मुंबई में रहने वाले प्रशांत इस्सर और अनुज शाह को वापस अपने वतन खींच लाई. दोनों ने अलग अलग समय पर इंग्लैंड के हेनरी बिजनेस स्कूल से एमबीए किया है. अनुज ने व्यापार और प्रबंधन में एमबीए किया तो प्रशांत ने 2008 में होटल और रेस्टोरेंट से जुड़ा एमबीए कोर्स किया है.
आसानी से काम समझते हैं
मुंबई जैसे शहर में ना लोगों की कमी हैं और ना ही उनका पेट भरने के लिए होटलों व रेस्टोरेंट की ही कमी है. अलग-अलग राज्यों और संस्कृतियों से आए लोगों के खाने-पीने की अलग आदतों के लिए भी इस शहर में भरपूर जगह है. वैष्णव होटल हो या फिर मुगलई व्यंजनों के रेस्टोरेंट, पारसी, जैन, दक्षिण भारतीय, इंदौरी, पहाड़ी और कॉन्टिनेंटल व्यंजनों के इतने रेस्टोरेंटहैं कि इन्हें गिनना मुश्किल हो जाएगा. सड़क किनारे रेहड़ियों पर बिकने वाला खाना हों या फिर बजट और पांच-सात सितारा रेस्टोरेंट इस शहर में खाने और परोसने वालों की कभी कोई कमी नहीं होती. इन सबके बीच इस मुंबई महानगरी में एक रेस्टोरेंट ऐसा भी है, जिसकी खासियत यहां खाने का ऑर्डर लेने व खाना परोसने वालों के कारण है. ‘मिर्ची ऐंड माइम’ नाम के इस रेस्टोरेंट में काम करने वाले 25 वेटर विकलांग हैं. सभी के सभी वेटर मूक-बधिर हैं, फिर भी ना खाने का ऑर्डर देने वालों को और ना ही खाना परोसने वालों को ही कोई परेशानी होती है. यहां आपको अपना ऑर्डर बताने के लिए वेटरों को बोलकर बताने की जरूरत नहीं पड़ती, बस इशारे ही काफी होते हैं.
मूक-बधिरों को समझने के लिए खुद ली ट्रेनिंग
प्रशांत और अनुज अपने रेस्टोरेंट के बारे में सोचा और सबसे पहले इन दोनो ने ख़ुद ट्रेनिंग ली की कैसे इन मूक-बधिर लोगों से बात की जाती है. ट्रेनिंग लेने के बाद फिर इनलोगो ने मूक बधिर को आठ हफ्तों का एक खास तरह का प्रोग्राम बनाकर ट्रेनिंग दी. जिसको चार हिस्सों में बांटा गया. पहले हिस्से में इन लोगों को बताया गया कि जिंदगी कैसे चलती है और कैसे काम करते हैं क्योंकि इनमें से ज्यादातर ने कभी काम ही नहीं किया था. दूसरे हिस्से में इन लोगों को नौकरी की जरूरत के बारे में समझाया गया और तीसरे हिस्से में साधारण अंग्रेजी का ज्ञान दिया गया, जिसमें इन्हें अंग्रेजी पढ़ना सिखाया गया. चौथे और अंतिम हिस्से में इन लोगों को हॉस्पिटलिटी की ट्रेनिंग दी गयी.
500 मूक-बधिरों को नौकरी देने की इच्छा
प्रशांत और अनुज ने 1 मई 2015 में इन्होने रेस्टोरेंट ‘मिर्ची एंड माइम’ लोगों के लिये शुरू कर दिया. अब इनकी इच्छा है की पूरे देश भर में हर जगह ऐसे रेस्टोरेंट खोले ताकि मूक बधिर को नौकरी दे सके. इनकी इच्छा है की कम से कम 5०० मूक बधिर को नौकरी दें. इनके इस प्रयास से ऐसे लोगों में और उनके परिवार में एक आंस जागी है. इतना ही नहीं इनके यहां जितने भी मूक बधिर काम करते हैं. उनकी सुरक्षा की भी अच्छी व्यवस्था की गयी है. अगर महिलाए हैं तो उन्हें रात में सुरक्षा गार्ड के साथ गाड़ी से घर तक छोड़ा जाता है साथ ही लड़कों को गाड़ी से घर या स्टेशन तक ड्रॉप ज़रूर दिया जाता है. अब तक इन्होंने ने 2 रेस्टोरेंट खोले हैं लेकिन इनकी इच्छा है कम से कम 21 खोलने की. अभी मिर्ची एंड माइम और दूसरा मदिरा एंड माइम के नाम से मुंबई के पवई इलाक़े में रेस्टोरेंट खोला है.
पहले से करनी होती है बुकिंग
इस रेस्टोरेंट में आपको ऐसे ही एंट्री नहीं है. खास लोग अगर आपको खाना परोस रहे हैं तो कुछ ऐसे सिस्टम बनाए गए हैं. जिसके बाद ही आपको इस रेस्टोरेंट में खाना खाने को मिलेगा. वह है इस रेस्टोरेंट में आने के पहले आपको अपना टेबल बुक करना पड़ेगा. अगर आपने अपना टेबल बुक किया है तो ही आप मूक बधिर लोगों द्वारा परोसे गए व्यंजनो का आनंद उठा सकते हैं.