नागपुर. माओवादिओं से संबंध के आरोप में जेल में बंद दिल्ली यूनिवर्सिटी के प्रोफ़ेसर जीएन साईबाबा को बॉम्बे हाई कोर्ट ने खराब स्वास्थ्य को देखते हुए तीन महीने के लिए बेल दे दी है. साईबाबा को महाराष्ट्र पुलिस ने पिछले साल मई में दिल्ली यूनिवर्सिटी के कैंपस से अरेस्ट किया था. कोर्ट का कहना है कि जेल में साईबाबा के मौलिक अधिकारों की रक्षा नहीं हो पा रही थी. कोर्ट ने गिरती सेहत को देखते हुए मेडिकल ट्रीटमेंट कराने के लिए बेल दी है.
परिवार के साथ रह पाएंगे
इंग्लिश के प्रफेसर नागपुर सेंट्रल जेल से बाहर होंगे और अब वह अपने परिवार की देखरेख में रह पाएंगे. साईबाबा को 50,000 रुपये के निजी मुचलके जमा कराने के लिए कहा गया है. बॉम्बे हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस मोहित शाह और जस्टिस एसबी शुकरे ने अपने फैसले में कहा, ‘ अनुच्छेद 226 के तहत निहित असाधारण शक्तियों का प्रयोग कोर्ट नहीं करेगा तो जीएन साईबाबा के मौलिक अधिकारों की रक्षा नहीं की जा सकती. ऐसे में कोर्ट जेल अथॉरिटी को निर्देश देता है कि साईबाबा को तीन महीने के लिए जेल से रिहा किया जाए.’
सरकारी वकील ने किया विरोध
दूसरी तरफ पब्लिक प्रॉसिक्युटर संदीप शिंदे ने इस बेल का विरोध किया और अवधि में कटौती की मांग की. शिंदे ने कहा कि साईबाबा प्रतिबंधित सीपीआई(माओवादी) से जुड़े हैं और ऐसे में इसकी आशंका है कि वह सबूतों को मिटा सकते हैं. ऐक्टिविस्ट पुर्णिमा उपाध्याय के पत्र के जरिए कोर्ट में साईबाबा की गिरती सेहत का हवाला दिया गया. उन्होंने कोर्ट से कहा था कि साईबाबा के परिवार वालों को इनका इलाज कराने में दिक्कत हो रही है. साईबाबा के परिवार वाले दिल्ली में रहते हैं. इनके भाई और पत्नी को लगातार मिलने के लिए नागपुर जाना पड़ता था.
एजेंसी
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