नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने आज अपने पूर्व न्यायाधीश के एस राधाकृष्णन को राहत देते हुए मद्रास हाई कोर्ट की मदुरई बेंच में उनके खिलाफ चल रही कार्रवाई पर रोक लगाई है.
मद्रास हाई कोर्ट ने जस्टिस राधाकृष्णन को पेटा पुरस्कार दिए जाने पर नोटिस जारी किया था. इस पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी है. जस्टिस राधाकृष्णन को जीव-जंतुओं के हितों के लिए काम करने वाली संस्था पेटा ने 2015 में यह पुरस्कार दिया था.
निर्णय के लिए पुरस्कार पर सवाल
हाल ही में तमिलनाडु में जलीकट्टू के समर्थन में हुए आंदोलन के बाद एक 62 वर्षीय किसान ने मद्रास हाई कोर्ट में याचिक दाखिल की है. इस याचिका में बताया गया है कि जस्टिस राधाकृष्णन की अगुवाई में बनी बेंच ने पीपल फॉर एथिकल ट्रीटमेंट ऑफ ऐनिमल (पेटा) और जीव-जंतुओं के लिए काम करने वाले अन्य संगठनों द्वारा दायर की गई याचिका पर सुनवाई करते हुए मई 2014 में जलीकट्टू पर प्रतिबंध लगाया था.
इस प्रतिबंध के बाद पेटा ने 2015 में जस्टिस राधाकृष्णन को ‘मैन ऑफ द ईयर’ पुरस्कार से सम्मानित किया था. याचिका दायर करने वाले किसान सलाई चक्रपाणी की दलील है कि पूर्व जज द्वारा किसी निर्णय के लिए पुरस्कार लेना संविधानिक नियमों का उल्लंघन है. कोई न्यायाधीश अपने किसी भी निर्णय के लिए पुरस्कार नहीं ले सकते.
न्यायाधीश पहुंचे सुप्रीम कोर्ट
इसलिए चक्रपाणी ने हाई कोर्ट से मांग की थी कि वह जस्टिस राधाकृष्णन को अवॉर्ड वापस करने का निर्देश दे. मद्रास हाई कोर्ट की मदुरै बेंच ने इस पर राधाकृष्णन को नोटिस जारी किया है.
इसके बाद जस्टिस राधाकृष्णन ने इसे अपने खिलाफ साजिश मानते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. राधाकृष्णन ने जज प्रोटेक्शन ऐक्ट, 1985 के सेक्शन 3 का हवाला देते हुए कहा है कि कोई भी अदालत किसी भी न्यायाधीश के खिलाफ किसी भी कानून के तहत आपराधिक और सिविल मुकदमा नहीं चला सकती.