नई दिल्ली: राजधानी दिल्ली में स्वास्थ्य व्यवस्था खराब होने के चलते कई लोगों की जान जा चुकी है. अमेरिका में हुए एक शोध के मुताबिक दिल्ली में सामान्य बीमारियों के इलाज की सुविधा होने के बावजूद मरने वालों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है.
रिपोर्ट के मुताबिक हॉस्पिटल में बेड और स्वास्थ्य केंद्रों की संख्या दो गुनी होने के बावजूद गरीबों का इलाज ठीक से नहीं हो पा रहा है. स्वास्थ्य सुविधा देने के मामल में दिल्ली की हालत दूसरे देश के शहर मॉस्को और शंघाई से भी खराब है.
न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी और कोलंबिया यूनिवर्सिटी के एक्सपर्ट्स मिलकर दिल्ली, मॉस्को और शंघाई जैसे महानगरों पर स्टडी करके स्वास्थ्य सुविधाओं की जमीनी हकीकत का पता लगाया है. रिसर्चर ने साल 2004 से 2013 के बीच आंकड़ों के आधार पर यह रिजल्ट दिया है.
रिपोर्ट के मुताबिक इस अवधि में दिल्ली में इलाज योग्य बीमारियों से मरने की घटनाओं से करीब 25 प्रतिशत बढ़ोत्तरी हुई है. यहां तक इस अवधि में भारत का विकास दर काफी तेज रहा है. विकास दर अच्छी होने के बावजूद देश में स्वास्थ्य सुविधाओं के मामले में दिल्ली की हालत शंघाई, मॉस्को और साओपाउलों जैसे शहरों की तुलना में बहुत खराब है.
इन शहरों में दिल्ली के विपरीत सामान्य बीमारियों से मौत के मामलों में 25 फीसद की कमी दर्ज की गई है. हालांकि, इस अवधि में दिल्ली में स्वास्थ्य बजट में सात से 12 फीसद की वृद्धि हुई. फिर भी औसतन दो डॉक्टरों को रोजाना 400 रोगियों को देखना पड़ता है.
हेल्थ सेक्टर के अधिकारी ने बताया कि दिल्ली में मेडिकल टूरिम और हेल्थकेयर में जबरदस्त प्रगति के मामले में दिल्ली शीर्ष पर है. इन सबके बावजूद समाज के एक-एक व्यक्ति तक स्वास्थ्य सुविधाएं नहीं पहुंच पा रही हैं. दिल्ली की आधी से ज्यादा आबादी झुग्गियों में रहती है जहां कई सुविधाओं नहीं हैं. विश्व स्वास्थ्य संगठन की एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत में 20 करोड़ से ज्यादा आबादी को साफ पेयजल भी नहीं मिल पा रहा है.