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स्पेशल रिपोर्ट: आखिर कौन हैं ललित मोदी और क्यों मचा है बवाल

नई दिल्ली. आईपीएल के पूर्व कमिश्नर ललित मोदी एक बार फिर चर्चा में हैं. मोदी ने जिस तूफानी अंदाज में बुलंदियों को छुआ था, उसी तेजी से उनका पतन भी हुआ. उन पर आईपीएल में गबन का आरोप लगा. ईडी ने एक्शन लिया तो मोदी इंग्लैंड से भारत ही नहीं आए. अब विदेश मंत्री सुषमा स्वराज और राजस्थान की सीएम वसुंधरा राजे मोदी को मदद देने के बाद विवादों में घिर गईं हैं. आइए जानने को कोशिश करते हैं कि ललित मोदी किस तरह कामयाबी के शिखर पर पहुंचे और फिर गुमनाम हो गए.

1999-2004: ललित मोदी 1999 में हिमाचल प्रदेश क्रिकेट एसोसिशन में शामिल हुए. लेकिन बोर्ड की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाने पर उन्हें अगले ही साल निलंबित कर दिया गया. इसके बाद मोदी सीएम वसुंधरा राजे के समर्थन से राजस्थान क्रिकेट एसोसिएशन पहुंचे और विवादास्पद तरीके से अध्यक्ष चुने गए.

2005: ललित मोदी ने जगमहोन डालमिया के मुकाबले शरद पवार को बीसीसीआई अध्यक्ष चुने जाने में अहम रोल निभाया. इसके बाद मोदी बीसीसीआई उपाध्यक्ष का पद संभालने वाले सबसे कम उम्र के शख्स बने.

2007: बीसीसीआई ने स्पोर्स्ट ग्रुप को टाइटल और ग्राउंड राइट्स 1.73 बिलियन डॉलर में बेचे. आईपीएल शुरू करने का ऐलान हुआ और करीब 1.73 बिलियन में इसके टीवी राइट्स बेटे गए.

2008: 8 आईपीएल फ्रेंचाइजी ने अपनी टीमों के लिए 67 से 111.9 मिलियन डॉलर चुकाए. मोदी को आईपीएल कमिश्नर नियुक्त किया गया.

2009: आरसीए चुनाव से पहले ललित मोदी पर फर्जीवाड़े का आरोप लगा. संजय दीक्षित के मुकाबले बोर्ड का चुनाव हारे. साल के अंत में फिर हार मिली.

2010: कोची टीम की जानकारी ट्विटर पर साझा करने पर भारी विवाद हुआ. शशि थरूर को निशाना बनाकर ट्वीट किया जिन्हें मंत्रिपद से भी इस्तीफा देना पड़ा. सीबीडीटी ने कोची टीम की खरीद को लेकर जांच शुरू की.

अप्रैल 2010: बीसीसीआई ने गबन के आरोप में मोदी को निलंबित किया और कारण बताओ नोटिस जारी किया.

जुलाई 2010: मोदी ने बीसीसीआई को स्वतंत्र जांच का मांग की और बोर्ड के फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया. जान को खतरे की आशंका बताकर भारत छोड़कर लंदन पहुंचे और यहीं से बोर्ड के खिलाफ कानूनी लड़ाई शुरू की.

अप्रैल 2011: हाईकोर्ट ने मोदी की अपील खारिज करते हुए बीसीसीआई की अनुशासनात्मक विभाग को जांच जारी रखने को कहा.

जुलाई 2011: ईडी ने आईपीएल की राशी में गबन मामले में ललित मोदी और बीसीसीआई दोनों को नोटिस जारी किया.

मार्च 2012: लंदन की कोर्ट ने प्राइवेट सिक्योरिटी कंपनी को 65000 यूरो न चुका पाने के कारण दिवालिया घोषित किया.

सितंबर 2013: बीसीसीआई की 134 पन्नों की रिपोर्ट में मोदी को अनुशासनहीनता और दुर्व्यवहार सहित विभिन्न आरोपों में दोषी माना गया. बीसीसीआई एसजीएम मीटिंग में मोदी पर आजीवन बैन लगाया गया.

मई 2014: मोदी को आरसीए चुनाव में अध्यक्ष पद पर जीत मिली. शिवलाल की अध्यक्षता वाली बीसीसीआई ने जवाब में आरसीए चुनाव को ही खारिज कर दिया.

एजेंसी इनपुट भी

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