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दोस्ती की मिसाल, बाढ़ में साथियों को बचाने के लिए पायल ने लगाई जान की बाजी

नई दिल्ली : देश में हर साल 26 जनवरी के मौके पर कुछ बच्चों को उनकी बहादुरी के लिए राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार से सम्मानित किया जाता है, इस बार भी इस पुरस्कार से सम्मानित होने वाले बच्चों का चयन कर लिया गया है. इस बार कुल 25 बच्चों को राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा.
इन 25 बच्चों में से 4 ऐसे बच्चे हैं जो अब इस दुनिया में नहीं हैं. इनमें से एक थी 12 साल की पायल देवी. पायल देवी भले ही अब इस दुनिया में नहीं रही लेकिन उनका नाम जिंदा है. इस साल बहादुरी के लिए राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार से सम्मानित होने वालों में उनका नाम भी एक है.
खतरे को पहचाना
घटना 12 मई 2016 की दोपहर, जम्मू कश्मीर के रामबान जिले की है. बादल फटने के कारण सभी नाले उफान पर थे. तीन छात्र स्कूल से वापस लौट रहे थे. दुर्भाग्यवश राकेश (14) और शैफाली (5) चकवा नाले पर बाढ़ में फंस गए. खतरे को भांपकर पायल तुरंत उनको बचाने के लिए 17 से 20 फुट गहरे पानी में छंलाग लगा दी. परन्तु दुर्भाग्यवश वो सभी पानी के तेज बहाव में बह गए.
दो बच्चों को बचाने के बहादुरीपूर्ण प्रयास में, पायल देवी ने अपने जीवन का बलिदान दे दिया.
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