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ब्रजभाषा के विलुप्त होते शब्द विश्वकोष सहेजे जाएंगे, मथुरा में तैयार हो रहा है विश्वकोष

मथुरा : ब्रजभाषा के ऐसे शब्द जोकि विलुप्त होने की कगार पर उन्हें विश्व शब्दकोष में सहेजा जाएगा. वृंदावन शोध संस्थान इस विश्वकोष को तैयार कर रहा है. दैनिक जागरण की खबर के अनुसार ऐसे शब्द जिनका ब्रज की मंदिर संस्कृति में जन्मे, पले-बढ़े, लेकिन लिखित परंपरा में उनका कोई वजूद नहीं रहा और किसी […]

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  • January 12, 2017 8:44 am Asia/KolkataIST, Updated 8 years ago
मथुरा : ब्रजभाषा के ऐसे शब्द जोकि विलुप्त होने की कगार पर उन्हें विश्व शब्दकोष में सहेजा जाएगा. वृंदावन शोध संस्थान इस विश्वकोष को तैयार कर रहा है. दैनिक जागरण की खबर के अनुसार ऐसे शब्द जिनका ब्रज की मंदिर संस्कृति में जन्मे, पले-बढ़े, लेकिन लिखित परंपरा में उनका कोई वजूद नहीं रहा और किसी शब्दकोष में भी शामिल नहीं हैं. इन शबदों को ब्रज संस्कृति विश्वकोष में सहेजा जाएगा.
 
अखबार की खबर के अनुसार वृंदावन शोध संस्थान द्वारा तैयार किए जा रहे विश्वकोष के तीसरे और चौथे खंड में विशेष रूप से इन शब्दों को इकट्ठा करने पर जोर रहेगा. जानकारी के अनुसार विश्वकोष का द्वितीय खंड ‘ब्रज के धर्म-संप्रदाय’ लगभग पूरा हो चुका है. बताया जा रहा है कि 800 पेज के इस खंड का शीघ्र ही प्रकाशन किया जा सकता. 
 
वहीं तीसरे खंड ब्रज साहित्य व लोक साहित्य पर काम शुरू हो गया है. विश्वकोष से जुड़े संस्थान के विद्वान राजेश शर्मा ने बताया कि ब्रज की देवालय संस्कृति बहुत समृद्ध रही है. इसमें ब्रजभाषा के कई पारिभाषिक शब्द मिलते हैं, जो कहीं भी लिखित रूप में दर्ज नहीं हैं. जैसे फूल बंगला के फ्रेम को ठाठ कहा जाता है. ऐसे शब्दों को विश्वकोष के तीसरे, चौथे खंड ‘ब्रज साहित्य, लोक साहित्य व ब्रज संस्कृति’ में संग्रहीत किया जाएगा. 

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