मुंबई: 12 साल पहले महाराष्ट्र सरकार ने मुंबई में डांस बार पर पाबंदी लगा दी थी. इसके बाद से ही सरकार के इस फैसले के पक्ष और विपक्ष में जाने-माने लोग खुले तौर पर अपना मत जाहिर करते आ रहे हैं. इसके दस साल बाद 2015 में सुप्रीम कोर्ट ने इनपर से पाबंदी हटा ली थी.
कोर्ट के इस फैसले के खिलाफ आज महाराष्ट्र सरकार ने
सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर कर कहा है कि- बार में डांस करना कोई आर्ट फॉर्म नहीं है. जो लड़कियां
डांस बार में डांस करती है वो ट्रेंड डांसर नहीं होती. इस तरह के डांस में मनोरंजन का स्तर बेहद कम होता है.
ऐसे में ग्राहकों को आकर्षित करने के लिए ये हो सकता है कि इन लोगों को अश्लीलता भरा
डांस करना पड़े. ऐसे में ये राज्य सरकार की जिम्मेदारी है कि वो सार्वजनिक जगह पर इस तरह के डांस ( अश्लीलता भरे) पर रोक लगाकर नारी के सम्मान की रक्षा करे.
इस हलफ़नामे पर सुप्रीम कोर्ट बुधवार को सुनवाई करेगा. बता दें कि 12 साल पहले तक मुंबई की नाइट लाइफ का रंगीन पहलू थे डांस बार. इन पर
महाराष्ट्र सरकार ने 2005 में अचानक पाबंदी लगाने का एलान कर दिया था.
बॉम्बे हाईकोर्ट ने डांस बार पर पाबंदी को असंवैधानिक बताया था तो महाराष्ट्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पाबंदी गलत है, तो महाराष्ट्र सरकार ने कानून बनाकर डांस बार बंद करवा दिया.