नई दिल्ली: हाई कोर्ट ने एक फैसले में कहा है कि पत्नी पर टिप्पणी करना, उसे घर छोड़ने पर मजबूर करना और अपने बच्चे से लंबे समय तक ना मिलने देना पत्नी के अलग रहने का अधार बन सकता है.
दरअसल हाइकोर्ट एक महिला की याचिका पर सुनवाई कर रही थी. महिला ने पति की तलाक की अर्जी स्वीकार करने के संबंध में निचली अदालत के फैसले को चुनौती दी थी. हाई कोर्ट ने निचली अदालत के फैसले को रद्द कर दिया. हालांकि महिला की ओर से पति के खिलाफ दर्ज कराया गया
दहेज प्रताड़ना का केस अभी चल रहा है. महिला अपने और अपनी बेटी के लिए गुजारा भत्ता सुरक्षित करने के लिए आगे की कार्रवाई कर सकती है.
आगे अदालत ने ये भी कहा महिला के पति ने उसे घर छोड़ने पर मजबूर किया. महिला को अपनी छोटी सी मासूम बेटी के साथ इधर-उधर ठोकरें भी खानी पड़ीं. कोर्ट ने कहा पति अपनी पत्नी के साथ मारपीट और गाली-गलौच भी करता था. जिससे साफ पता चलता है कि पत्नी हिंसा का शिकार हुई है. यह बिल्कुल सही है कि से महिला पति से लंबे समय से अलग रह रही थी क्योंकि उसके पति ने ऐसा करने पर मजबूर किया था, लेकिन वह अपनी शादी तोड़ना नहीं चाहती है.
वहीं पति ने आरोप लगाया था कि उसकी पत्नी ने बिरादरी पंचायत में सबके सामने उसे थप्पड़ मारा था साथ ही उसे खाना बनाकर भी नहीं देती थी. ऐसे में वहा काफी समय से अपने मायके में रही है. इसलिए उसे तलाक दे दिया जाए.
यह है मामला
गौरतलब है कि दोनों की शादी साल 2000 में हुई थी. फरवरी में उन्हें एक बच्चा भी हुआ लेकिन दो दिन के बाद बच्चे ने दम तोड़ दिया. दोनों में अनबन होने के बाद पत्नी 2003 में अपने मायके चली गई और तभी से वह अलग रह रही है. अप्रेल 2004 में महिला ने एक बेटी को जन्म दिया. उसी दौरान पति ने निचली अदालत में तलाक की अर्जी दाखिल की. नवंबर 2013 में निचली अदालत ने पति के हक में फैसला सुनाया था.