भोपाल: शादी के बाद बीवी का मेडिकल कॉलेज में एडमिशन लेना पति को बर्दाश्त नहीं हुआ. उसने पत्नी को गुजारे के लिए खर्चा देने से ही मना कर दिया. सिर्फ इतना ही नहीं उसने बीवी को कॉलेज के यूनिफॉर्म की जगह बुर्का पहनने के लिए भी मजबूर किया. हैरानी की बात ये है कि लड़की के ससुराल वाले शहर के बड़े उद्योगपति और रसूख वाले लोग हैं.
बीवी ने इस मामले में पति को अदालत में घसीटा है. शौहर ने कोर्ट को कहा कि इश्तखारा यानि कि सोने से पहले विशेष दुआ के बाद आने वाला सपने के आधार पर ही वह उसे अपनाएगा. यानी पत्नी को खर्च देने का सपना आने पर ही वह उसे कबूलेगा.
भोपाल फैमिली कोर्ट के प्रधान न्यायधीश आरके दुबे ने 31 दिसंबर को फुहारा छाप बीड़ी उद्योग और राबिया मैरिज गार्डन के मालिक मोहम्मद सिराज के इन तर्कों को दाकियानूसी करार दिया.कोर्ट ने बीवी अदीबा खान के पक्ष में फैसला सुनाते हुए मोहम्मद सिराज को आदेश दिया है कि वो राबिया को हर महीने एक लाख रुपए का गुजारा भत्ता दे.
कोर्ट ने लगाई फटकार
यह गुजारा भत्ता 75 हजार रुपए दैनिक गुजारे और 25 हजार रुपए पढ़ाई के मान से 12 जनवरी 2015 से देना होगा. कोर्ट ने अपने फैसले में माना है कि मो. सिराज की मासिक आय 70 लाख रुपए प्रतिमाह से अधिक है. वो खुद तो विलासितापूर्ण जीवन जीते हैं पर पत्नी को अभावग्रस्त जीवन के लिए मजबूर किया है.
30 वर्षीय मोहम्मद सिराज और 21 वर्षीय अदीबा खान की शादी 5 अक्टूबर 2012 को हुई थी. शादी के वक्त अदीबा 12वीं की छात्रा थीं. इसके बाद उन्होंने आगे की पढ़ाई के लिए शहर के ही ऋषिराज कॉलेज ऑफ डेंटल साइंस में दाखिला लिया. लेकिन शौहर मो. सिराज ने कहा की बीडीएस नहीं बीए की पढ़ाई करो. कॉलेज में ड्रेस पहनकर नहीं बुर्का पहनकर जाओ.
अदीबा ने वर्ष 2015 में फैमिली कोर्ट में दहेज प्रताड़ना का केस किया. लेकिन मो. सिराज ने फिर साथ रखने का वादा कर राजीनामा कर लिया पर साथ में इश्तखारा की शर्त भी जोड़ दी. इसके बाद भी सिराज ने जब उसे नहीं अपनाया तो अदीबा ने जनवरी 2015 में भरण पोषण का केस दर्ज किया था. इसी मामले पर आदेश देते हुए कोर्ट ने सिराज को राबिया को 1 लाख रूपए महीना का खर्चा भत्ता देने का आदेश सुनाया.