नई दिल्ली : दिल्ली की तीस हजारी कोर्ट में अचानक कुछ ऐसा हुआ जिसने पुलिस जांच में गोपनीयता और पीड़ित की सुरक्षा पर गंभीर सवाल खड़े हो गए . दरअसल गैंगरेप के एक मामले में आरोपी ने जमानत के लिए कोर्ट में वो वीडियो क्लिप पेश कर दिया, जिसमें पीड़ित पुलिस के सामने अपना बयान दर्ज करा रही थी.
जब कोर्ट ने वीडियो के स्रोत के बारे में पूछा, तो उसने बताया कि उसे यह वीडियो यूट्यूब से मिला है. इस पर कोर्ट ने पुलिस को पीड़ित की सुरक्षा में लापरवाही को लेकर फटकार लगाई. सत्र न्यायाधीश विमल कुमार यादव ने हैरानी जताते हुए कहा, ‘यह बेहद चिंता का विषय है और इसमें जांच की जरूरत है कि कैसे एक पीड़ित का वीडियो यूट्यूब पर अपलोड हो गया.’
उन्होंने कहा कि इस मामले की जांच की जानी चाहिए क्योंकि पीड़ित की सुरक्षा के उद्देश्य का नुकसान पहुंचाता है. बाल यौन अपराध संरक्षण अधिनियम (पोक्सो) के तहत जांच अधिकारी को पीड़ित का बयान दर्ज करना होता है, जिसे बेहद गोपनीय सबूत माना जाता है.
जमानत याचिका खारिज
ये मामला 16 साल की एक लड़की के गैंगरेप का है. 10वीं क्लास में पढ़ने वाली पीड़िता का आरोप है कि 3 नवंबर को एक तीन पुरुषों ने दिल्ली के पहाड़गंज स्थिति एक होटल में उसके साथ गैंगरेप किया था. इस होटल में वह अपने किसी परिचित को मिलने गई थी. पुलिस ने होटल के मालिक को भी आरोपी बनाया है.
होटल के मालिक ने कोर्ट में जमानत के लिए याचिका दायर की थी. आरोपी के वकील का कहना था कि एफआईआर और वीडियो में उसके बारे में जिक्र नहीं किया गया है. लेकिन, कोर्ट ने यह कहते हुए उसकी जमानत खारिज कर दी क्योंकि यह संभव नहीं कि किसी के होटल में इतना बड़ा हादसा हो जाए और उसे पता तक न चले.