तिरुवनंतपुरम. केरल के कुछ चर्चों में शादी के लिए दुल्हनों के गाउन पहनने पर रोक लगा दी गई है. चर्च से जुड़े कुछ पदारियों और संतों का मानना है कि गाउन भारतीय संस्कृति से मेल नहीं खाता है.
कुछ पादरियों की ओर से साफ कह दिया गया है कि शादी के लिए सफेद साड़ी या इसी रंग का सलवार- सूट ही पहना जा सकती है.
हालांकि इस बैन के पीछे हर किसी की अलग-अलग राय है. सभी चर्चों में ऐसा नियम कर दिया गया है, ये भी कहना गलत होगा. हां, कुछ गिरिजाघरों में साफ कहा गया है कि शादी के लिए आने वाली लड़कियों को अपनी ‘संस्कृति’ और ‘शिष्टता’ का भी ख्याल रखना चाहिए.
केरल के ही एक प्रतिष्ठित गिरिजाघर मालनकारा की ओर से शादी के लिए आई दुल्हनों के लिए सफेद साड़ी पहनने अनिवार्य कर दिया गया है.
मैगजीन द वीक से बातचीत में गिरिजाघर के प्रबंधक एमसी क्योरिकोस ने ‘हम दुल्हनों को अपने यहां पश्चिमी परिधान पहनने की छूट नहीं दे सकते हैं. हम उम्मीद करते हैं कि वह सफेद साड़ी पहनकर आएंगी. हालांकि यह प्रतिबंध कुछ समय के लिए ही है.
क्योरिकोस ने कहा ‘प्रबंध समिति की ओर से गाउन पर लगाया प्रतिबंध पर बेवजह का विवाद है. साड़ी और सलवार- सूट हमारी संस्कृति का हिस्सा है. इसे हर कोई पसंद करता है’.
एक दूसरे संत फादर जॉर्ज सी. कूरियन का कहना है कि गले के नीचे से पहनने वाला गाउन पहनना शादी की ‘पवित्रता’ पर सवाल है. उन्होंने यह भी कहा कि चर्च आधुनिकता के खिलाफ नहीं है. लेकिन हमें पश्चिमी गाउन को आधुनिक और साड़ी को पिछड़ेपन के तौर नहीं देखा नहीं जाना चाहिए. यह सिर्फ शिष्टता का एक मुद्दा है.
आपको बता दें कि ऐसी ही एक शादी के समारोह में गले से नीचे तक का गाउन पहन कर एक दुल्हन को देख कर फादर ने उसको खूब डांटा था और तभी शादी कराई जब वह उसे उतार कर सफेद साड़ी पहनकर आई थी.
गौरतलब है कि गिरिजाघरों की ओर से लगाए जा रहे ऐसे प्रतिबंध से काफी विवाद के साथ-साथ शादी के लिए महंगे-डिजाइनर गाउन पहनने का सपना देखने वाली लड़कियों का सपना भी टूट रहा है.