अहमदाबाद. गुजरात हाईकोर्ट ने कहा है कि अगर एक हिंदू लड़की एक मुस्लिम लड़के के साथ लिव इन रिलेशनशिप में रहना चाहती है तो वह रह सकती है. कोर्ट ने यह अनुमति दूरदराज के ग्रामीण इलाके में रहने वाली एक लड़की की इच्छा पर दी है.
लड़की की उम्र 19 साल और लड़के की उम्र 20 साल है. वे दोनो शादी नहीं कर सकते क्योंकि लड़के की उम्र शादी के लिए तय उम्र से कम है. बता दें कि भारत में लड़के की शादी करने की उम्र 21 साल है जबकि लड़की की शादी करने की उम्र 18 साल है.
वे बनासकांठा के रहने वाले हैं. लड़की अपने बचपन के दोस्त के साथ रहना चाहती थी और उसके साथ शादी करना चाहती थी वे दोनों एक दूसरे को प्यार करते हैं. वे अपना धर्म नहीं बदलना चाहते थे. लड़के की उम्र 21 साल से कम होने के कारण अभी वे शादी नहीं कर पा रहे थे लेकिन साथ रहना चाहते हैं. लड़की के घर वाले उन्हें साथ नहीं रहने देना चाहते थे और उसे जबर्दस्ती साथ लेकर चले गए थे. इसीलिए दोनो नें स्पेशल मैरिज एक्ट का सहारा लिया था.
न्यायमूर्ति अकिल केयू रेशी और न्यायमूर्ति वीरेन वैष्णव ने यह अनुमति देते हुए कहा है कि हमारा समाज शादी की पवित्रता पर काफी दबाव डालता है. न्यायालय ने लड़के से कहा है कि जैसे ही वह 21 साल का हो जाएगा लड़की से शादी करेगा वह इसके लिए एक एफिडेविट जमा कराए. कोर्ट ने कहा कि हमें कानूनी सीमा को पहचानना चाहिए. एक व्यस्क व्यक्ति को वहां रहने पर मजबूर नहीं किया जा सकता जहां वह नहीं रहना चाहता है.
बता दें कि युवक और युवती दोनों ने मैत्री करार के लिए आवेदन किया था. यह कानून जुलाई में गुजरात में लागु हुआ था और यह लिव इन रिलेशनशिप को कानूनी सुरक्षा देता है. यह एक तरह का फ्रेंडशिप एग्रीमेंट है. लड़की ने कोर्ट में बताया कि जब मेरे बायफ्रेंड की उम्र 21 साल हो जाए हम दोनों शादी करना चाहते हैं कोर्ट मुझे इसकी अनुमति दे मैं अपने माता पिता के साथ नहीं रहना चाहती.