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इन 18 बड़ी कंपनियों की 27 दवाइयां हो गईं क्वालिटी टेस्ट में फेल

इस साल मार्च के बाद से सात राज्यों के ड्रग रेग्यूलेटर्स ने देश की 18 बड़ी कंपनियों की 27 दवाओं पर टेस्ट किए. जिसमें इन सभी दवाओं पर गलत लेबल लगाने, सामग्री की गलत मात्रा, घटिया गुणवत्ता, नमी आना, रंग खोते जाना, टूटने और घूलने की समस्या सामने आई है.

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  • November 28, 2016 8:02 am Asia/KolkataIST, Updated 8 years ago
नई दिल्ली: इस साल मार्च के बाद से सात राज्यों के ड्रग रेग्यूलेटर्स ने देश की 18 बड़ी कंपनियों की 27 दवाओं पर टेस्ट किए. जिसमें इन सभी दवाओं पर गलत लेबल लगाने, सामग्री की गलत मात्रा, घटिया गुणवत्ता, नमी आना, रंग खोते जाना, टूटने और घूलने की समस्या सामने आई है.
 
जिन 18 कंपनियों की दवाइयों की जांच की गई है उनमें अबॉट इंडिया, जीएसके इंडिया, सन फार्मा, सिप्ला और ग्लेनमार्क फार्मा जैसी कई बड़ी दवाइयों की कंपनियों के नाम शामिल हैं. इन 18 कंपनियों में टॉप आठ की वो कंपनियां भी शामिल हैं जो बिक्री की दृष्टी से काफी आगे हैं.
 
जिन दवाओं की क्वालिटी पर सवाल उठ रहे हैं उनमें ग्लेनमार्क फार्मा की कफ सिरप एस्कॉरिल, सनोफी सिंथेलेबा की एंटी इंफ्लमेटरी दवा, अबॉट इंडिया की एंटीबायोटिक दवा पेंटाइड्स, कैडिला फार्मा की माइग्रेन की दवा वासाग्रेन, एलेम्बिक फार्मा की एंटी बैक्टेरियल दवा एल्‍थ्रोसिन, टॉरंट फार्मा की हायरपर टेंशन की दवा डिलजेम और जीएसके इंडिया की वर्म इंफेंक्‍शन की दवा जेंटल जैसी दवा शामिल हैं.
 
इन 18 में से दो कंपनियों ने बताया है कि उन्होंने दवाओं की बिक्री पर रोक लगा दी है तो वहीं एक और कंपनी ने कहा है कि उसने मार्केट से दवा को वापस ले लिया है. कर्नाटक, महाराष्‍ट्र, गुजरात, पश्चिम बंगाल, आंध्र प्रदेश, गोवा और केरल के ड्रग रेग्यूलेटर्स ने इन 18 कंपनियों की दवाओं पर टेस्ट किए हैं. 

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