दिहाड़ी मजदूर के खाते में 323 करोड़ का ट्रांजेक्शन, आयकर विभाग ने थमाया नोटिस

बेगूसराय में साढ़े तीन सौ रुपये रोजाना कमाने वाले एक बढ़ई के खाते में 333 करोड़ रुपए के ट्रांजेक्शन का सनसनीखेज मामला सामने आया है. इस ट्रांजेक्शन के बाद आयकर विभाग सकते में आ गया है

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दिहाड़ी मजदूर के खाते में 323 करोड़ का ट्रांजेक्शन, आयकर विभाग ने थमाया नोटिस

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  • November 27, 2016 4:24 pm Asia/KolkataIST, Updated 8 years ago
पटना : बेगूसराय में साढ़े तीन सौ रुपये रोजाना कमाने वाले एक बढ़ई के खाते में 333 करोड़ रुपए के ट्रांजेक्शन का सनसनीखेज मामला सामने आया है. इस ट्रांजेक्शन के बाद आयकर विभाग सकते में आ गया है और उसने खाता धारक को नोटिस थमा दिया है. मामला बिहार के बेगूसराय के बरौनी थाना क्षेत्र के निंगा का है, जहां सुधीर साह को 28 सितम्बर को असिस्टेन्ट कमिश्नर ऑफ इनकम टैक्स सर्किल-2  ओ पी झा ने आयकर विभाग एक्ट 1961 सेक्शन 147/48 के तहत कार्रवाई के लिए नोटिस भेजा है.
 
आयकर विभाग के एक अधिकारी के अनुसार कॉमोडिटी ट्रांजेक्शन के कारण उक्त व्यक्ति को विभाग की तरफ से नोटिस भेजा गया है. जिसमें यह दिखाया गया है कि वर्ष 2014-15 में सुधीर कुमार साह के खाते से 3 अरब 33 करोड़ दो लाख चौदह हजार 323 रुपये का लेनदेन किया गया है. हालांकि मामला संदेहपूर्ण है जिसकी जांच पड़ताल की जा रही है. दूसरी ओर रिपोर्ट के मुताबिक आयकर विभाग के एक वरीय पदाधिकारी ने अनुसार, सुधीर साह को नोटिस जाने के बाद उसने आयकर कार्यालय कुछ चौंकाने वाली जानकारी दी. जिससे पूरा मामला उलझ गया है जिसकी जांच की जा रही है.
 
पूछताछ में सुधीर साह ने बताया कि एक व्यक्ति ने उसे गुजरात के जामनगर की एक कम्पनी में नौकरी देने के नाम पर पैनकार्ड बनाने को कहा. उसी व्यक्ति ने पैनकार्ड बनाने के लिए आवेदन भी दिया लेकिन पैनकार्ड उसके पास नहीं आया. सिर्फ उसे पैनकार्ड के साथ मिलने वाला एक लेटर मिला. वहीं सुधीर ने बताया कि बरौनी थाना क्षेत्र स्थित हरपुर के इलाहाबाद बैंक में उसका एक मात्र अकाउंट है जो जनधन योजना के तहत खुलवाया गया है.
 
इस मामले में आयकर विभाग के अधिकारियों का भी कहना है कि ऐसा लगता है कि इसके पैनकार्ड का दुरूपयोग किया गया है. ऐसा भी मुमकिन है कि सुधीर कुमार के फर्जी अकाउंट खोल कर उसके जाली हस्ताक्षर और बैंक की मिली भगत कर कमोडिटी ट्रांजेक्शन किया गया हो. सूत्रों की माने तो उक्त चेक पर निकासी के सुधीर कुमार के ही हस्ताक्षर हैं जिसके एवज में इसे कुछ राशि भी दी जाती थी.
 
 
 

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