पटना: मंगलवार को बिहार में 17 साल पहले हुए चर्चित सेनारी नरसंहार में पाए गए दोषियों को जहानाबाद जिला कोर्ट के एडीजे थ्री रंजीत कुमार सिंह ने सख्त फैसला सुनाया. दोषियों में 10 को फांसी की सजा सुनाई गई, 3 दोषियों को उम्रकैद और तीन दोषी जिनको आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई.
इससे पहले 27 अक्टूबर को जहानाबाद कोर्ट ने 15 दोषियों को दोषी करार दिया था. जबकि इस मामले में 23 लोगों को बरी भी किया गया था. देर से सही लेकिन इस फैसले से सेनारी वासियों को न्याय मिला है. इस भयानक नरसंहार को माओवादियों ने अंजाम दिया था.
गौरतलब है कि 8 मार्च, 1999 की रात जहानाबाद जिले के सेनारी गांव में एक खास अगड़ी जाति के 34 लोगों की गला रेत कर हत्या कर दी गई थी. उस समय इस नरसंहार में प्रतिबंधित संगठन माओवादी कम्युनिस्ट सेंटर (एमसीसी) को शामिल माना गया था. मरने वालों में ज्यादातर स्वर्ण समाज के थे और आरोपियों में अधिकांश माओवादी थे.
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक सेनारी में माओवादियों ने एक ही जाति के 34 लोगों को बंधक बनाया. उन्हें गांव के सामुदायिक भवन के पास ले गए और गला रेतकर मौत के घाट उतार दिया. इस मामले पर गांव की चिंता देवी के बयान पर 50 से अधिक लोगों को अभियुक्त बनाया गया.
इस नरसंहार में चिंता देवी के पति और बेटे की भी हत्या की गई थी. मुकदमा चलने के बीच में चिंता देवी की पांच साल पहले मौत हो गई. इसके अलावा चार आरोपियों की भी मौत हो चुकी है. 23 को रिहा किया जा चुका है. बड़ी बेरहमी से 34 लोगों को मौत के घाट उतार दिया गया था. इस मामले में 66 में ले 32 गवाहों ने सुनवाई के दौरान कोर्ट में गवाही दी.