नई दिल्ली. सरकार के 500 और 1000 रुपये के नोटों पर प्रतिबंध ने हिंसाग्रस्त कश्मीर में शांति ला दी है. नोट बंदी के बाद पत्थरबाजी पर ब्रेक लग गया है. बड़े नोट बंद होने के बाद हिंसा भड़काने वालों के पास उपद्रवियों को दिहाड़ी देने के लिए पैसे नहीं हैं. इसके कारण पत्थरबाजों का नेटवर्क टूट गया है और शांति बनी हुई है.
दरअसल, हिंसा भड़काने के लिए हवाला से होने वाली अवैध फंडिग का उपयोग किया जाता है. लेकिन, पुराने नोट बंद होने से हवाला आॅपरेशंस फिलहाल रुक गए हैं. एक अंग्रेजी अखबार की खबर के मुताबिक गृह मंत्रालय के अधिकारियों ने कहा कि अलगाववादियों ने इस स्थिति को लेकर अपनी चिंता आंदोलकारियों के सामने रखी है.
पहचान न बताने की तर्ज पर एक अधिकारी ने बताया है,’जम्मू और कश्मीर पुलिस ने नई दिल्ली को बताया है कि अलगाववादी सरकार के इस कदम से घबराए हुए हैं. चार महीनों से चल रही हिंसा अचानक रुक गई है. अलगाववादी नेता फंडिंग के लिए बांग्लादेश, नेपाल और दुबई के जरिए हवाला चैनल्स पर निर्भर करते हैं. अब यह पैसों का स्रोत सूख गया है.’
चार से पांच महीने रुकी रहेगी हिंसा
अन्य अधिकारियों ने कहा कि राज्य की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती के नागरिक समाज के नेताओं और सैयद अली शाह गिलानी जैसे कट्टरपंथियों के बीच बातचीत के समर्थन ने विमुद्रीकरण के असर को कम कर दिया है. विमुद्रीकरण ने अलगाववादियों को कमजोर कर दिया था.
शीर्ष खुफिया अधिकारियों का कहना है कि कश्मीर में हिंसा कम से कम चार से पांच महीनों तक ठंडी रहेगी. अलगाववादियों को काले धन के रास्ते फिर से फंड जुटाने में इतना समय तो लगेगा ही. एक सीनियर अधिकारी ने कहा, ‘विमुद्रीकरण के कदम ने हवाला आॅपरेशन्स को फिलहाल रोक दिया है क्योंकि नए नोट अब भी बड़ी संख्या में उपलब्ध नहीं हैं.’