नई दिल्ली. एक तरफ दिल्ली के लोग एक हफ्ते से भी ज्यादा समय तक प्रदूषण से परेशान थे तो वहीं, प्रदूषण नियंत्रण अनुभाग का आधा स्टाफ वाहनों के लिए लाइसेंस जारी करने के काम में लगाया गया था.
परिवहन विभाग के अंदर आने वाले प्रदूषण नियंत्रण अनुभाग में 15 अधिकारी और कई इंस्पेक्टर्स हैं, जो राजधानी में 950 प्रदूषण केंद्रो की जांच करते हैं. इनमें से आधे स्टाफ को तीन महीने से लाइसेंस जारी करने का काम दिया गया था.
इस अनुभाग के अधिकारी और इंस्पेक्टर नियमित तौर पर प्रदूषण जांच केंद्रों का दौरा करके जांचते हैं कि वाहनों को सही तरीके से टेस्ट किया जा रहा है या नहीं. वह प्रदूषण केंद्रों को हर साल लाइसेंस जारी करते हैं.
लाइसेंस ब्रांच में थी स्टाफ की कमी
जुलाई में 11 पीसीडी अधिकारियों को लाइसेंस ब्रांच में भेज दिया गया था. हालांकि, पिछले महीने सरकार ने अपने जुलाई के आदेश को रद्द कर इनमें से चार अधिकारियों को फिर से प्रदूषण जांच के लिए वापस भेज दिया था लेकिन बाकी सात वहीं बने रहे थे.
जुलाई का यह नोटिस परिवहन मंत्री सतयेंद्र जैन के उस फैसले के बाद आया था जिसमें उन्होंने जोनल कार्यालय के हर दिन 12 घंटे काम करने की बात कही थी. जैन ने कहा था कि वह गाड़ियों के पंजीकरण के लंबित आवेदनों को पूरा करने के लिए कार्य के घंटे बढ़ा रहे हैं. लेकिन, तब यह देखा गया कि इतने मोटर लाइसेंसिंग आॅफिसर है ही नहीं कि सात दिन और 12 घंटे काम कर सकें इसलिए पीसीडी आॅफिसर को इसमें लगा दिया गया.