श्रीनगर. जम्मू कश्मीर सरकार ने मंगलवार को हाईकोर्ट को बताया कि घाटी के हर एक स्कूल को सुरक्षा दे पाना असंभव है. हालांकि सरकार ने यह भी साफ किया कि स्कूल बिल्डिंग की सुरक्षा के लिए एक व्यापक योजना तैयार की गई है.
पिछले महीने जम्मू कश्मीर हाई कोर्ट ने पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों को घाटी में जारी अशांति के दौर में उपद्रवियों के निशाने पर आए स्कूलों को महफूज रखने के तौर तरीके खोजने का निर्देश दिया था. इसके ही जवाब में जम्मू-कश्मीर सरकार ने मंगलवार को हाई कोर्ट में अपना पक्ष रखा.
एडिशनल एडवोकेट जनरल बशीर अहमद दार ने कोर्ट को बताया कि घाटी में 15000 स्कूल हैं. इन स्कूलों को अतिसंवेदनशील, संवेदनशील और सामान्य श्रेणी के तीन कैटेगरी में बांटा गया है. दिक्कत ये है कि इनमें से अधिकतर स्कूल घनी आबादी वाले इलाकों में है और यहां हर समय सुरक्षा देना नामुमकिन है.
अदालत की एक खंडपीठ ने पिछले महीने कश्मीर के पुलिस महानिरीक्षक, संभागीय आयुक्त और कश्मीर के स्कूली शिक्षा निदेशक को निर्देश जारी करते हुए कहा था, ‘अदालत में मौजूद तीनों जिम्मेदार अधिकारियों को निर्देश दिया जाता है कि उच्च अधिकारियों और अन्य अधिकारियों के साथ बैठें और शिक्षण संस्थानों की सुरक्षा के लिए प्रभावी तौर तरीकों पर विचार करें.’
वहीं पुलिस महानिरीक्षक सय्यद मुजतबा गिलानी ने बताया कि पिछले एक हफ्ते में करीब 9 स्कूलों को जलाने की कोशिश की गई है. इस घटना में करीब 20 लोगों को गिरफ्तार किया गया है और हर घटना के बाद एक विशेष जांच टीम भी तैयार की गई.’