नई दिल्ली. जहां किसी तलाक के मामले में फैसले के लिए सालों साल लग जाते हैं और दंपत्ति कोर्ट के चक्कर काटते रहते हैं वहीं, सुप्रीम कोर्ट ने एक मामले में एक ही सुनवाई में फैसला सुना दिया.
यह मामला एक आईएएस दंपत्ति का है, जिन्होंने कोर्ट में तलाक के लिए अर्जी दाखिल की थी. दोनों की एक बेटी भी है. पति को पत्नी पर विवाहेत्तर संबंध होने का शक था. साथ ही उसका कहना है कि वह बेटी की भी उसकी नहीं है और इसकी जांच के लिए उसने कोर्ट से डीएनए टेस्ट की मांग की थी.
मां को मिली बच्ची की कस्टडी
लेकिन, कोर्ट ने डीएनए टेस्ट से इनकार करते हुए तलाक की मंजूरी दे दी. सुप्रीम कोर्ट ने यह फैसला यह देखने के बाद दिया कि पति-पत्नी के बीच सुलह की संभावना नहीं है. दोनों अलग रहना चाहते हैं और रखरखाव का कोई मामला लंबित नहीं है.
साथ ही कोर्ट ने पति और पत्नी दोनों को एक-दूसरे की संपत्ति पर किसी भी तरह के दावे से मना कर दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने बच्ची की कस्टडी मां को दी है और पिता को भविष्य में बच्चे पर दावा करने से मना कर दिया है. इससे पहले हाई कोर्ट ने भी ट्रायल कोर्ट के डीएनए टेस्ट कराने के फैसले पर रोक लगा दी थी.