नई दिल्ली. सोशल मीडिया पर राजस्थान के एक इलाके में ‘मदद की दीवार’ की तस्वीरें वायरल होने के बाद देश के कई हिस्सों में इस तरह की कोशिश शुरू हो गई है जहां ठीक हालत वाले सामान छोड़े जा सकें और जरूरतमंद उसे ले जा सकें. दिल्ली के आयानगर में इस कोशिश को जबर्दस्त रिस्पांस मिला है.
गुड़गांव से सटे दिल्ली के आयानगर इलाके में राजनीतिक और सामाजिक कार्यकर्ता वेदपाल ने इस दीवार की शुरुआत की है जिसका उद्घाटन कांग्रेस नेत्री और राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की बेटी शर्मिष्ठा मुखर्जी ने किया था. शुरुआत के बाद से ही लगातार इस केंद्र पर सामान देने और लेने का काम चल रहा है.
सामान देने और लेने के नियम-कायदे भी हैं
द हंस फाउंडेशन के बैनर तले शुरू की गई इस दीवार को एक जाली से घेर दिया गया है और सामान के कई रैक बना दिए गए हैं. देने वालों से आग्रह किया गया है कि वो साफ और आयरन किए हुए कपड़े ही लेकर आएं. ऐसा सामान ही दें जिसका उपयोग हो सके. जूते-चप्पल को जोड़े में लाएं और बांधकर निर्धारित रैक में रखें. खराब सामान बिल्कुल न लाएं.
इसी तरह वहां से जरूरत के सामान उठाने वालों से आग्रह किया गया है कि जरूरत हो तभी सामान उठाएं और अगर पसंद ना आए तो जहां से उठाया गया हो, उसे वहीं रख दें. एक आदमी दो जोड़ी कपड़े और एक जोड़ी जूते से ज्यादा न ले. सिर्फ अपने ही साइज के कपड़े उठाने की अपील के साथ ये भी कहा गया है कि दवा अगर किसी ने दिया हो तो भी उसे ना उठाएं.
वेदपाल के प्रयास से शुरू ‘मदद की दीवार’ के उद्घाटन के मौके पर रेसोनेंस सेंटर फॉर लर्निंग एण्ड डेवलमपेंट के कार्यकर्ताओं के अलावा बड़ी संख्या में इलाके के लोग मौजूद थे और केंद्र की सफलता में इलाके के लोगों का बड़ा योगदान है.