हरिहर. कर्नाटक के हरिहर रेलवे स्टेशन पर मंगलवार को अदालत ने एक किसान को मुआवजा मिल सके इसके लिए पूरी एक ट्रेन ही जब्त कर ली. जी हां, मैसूर जा रही सिद्धगंगा इंटर सिटी एक्सप्रेस करीब डेढ़ घंटे तक स्टेशन पर खड़ी रही.
अदालत ने ट्रेन को तब तक नहीं जाने दिया जब तक रेलवे के एक अधिकारी ने लिखित में किसान का मुआवजा चुकाने का आश्वासन नहीं दिया. रेलवे की तरफ से लिखित में यह देने के बाद ही ट्रेन को जाने दिया गया.
क्या है मामला ?
रेलवे ने साल 2006 में हरिहर गांव के 62 साल के एक किसान शिवकुमार की एक एकड़ जमीन का अधिग्रहण किया था, जिसके बदले में उसे मुआवजा देने की बात की गई थी, लेकिन जब रेलवे ने मुआवजे की राशि देने में आनाकानी की तब शिवकुमार अदालत पहुंचे.
अदालत ने साल 2013 में रेलवे को आदेश दिया कि वह शिवकुमार को ब्याज समेत कुल 38.20 रुपये दे. रेलवे ने फिर मुआवजा देने में देरी की जिसके बाद अदालत ने मंगलवार को ट्रेन ही रोक दी.
इस मामले में शिवकुमार ने कहा है कि अदालत ने तब तक ट्रेन को रोक कर रखा जब तक कि रेलवे के एक अधिकारी ने मुआवजा देने का लिखित में आश्वासन नहीं दिया. अब कहा गया है कि रेलवे मुआवजे की राशि सात दिनों के अंदर चुका देगा.
वहीं रेलवे के एक अधिकारी का कहना है कि रेलवे मानता है कि मुआवजा देने में काफी वक्त लग गया, लेकिन जो भी हुआ वह बहुत ही अजीब हुआ.