क्यों कहा इस भाई ने- मैं तो चाहता हूं कि देश की हर लड़की बाप-भाई के हाथ से निकल जाए

लड़कियों की आज़ादी पर परिवार और समाज की प्याज जैसी परत दर परत पहरों से आजिज एक भाई ने फेसबुक पर छोटा सा पोस्ट लिखा और कहा कि वो तो ये चाहता है कि सिर्फ उसकी बहन नहीं बल्कि देश की हर लड़की अपने भाई, बाप और घर-परिवार के हाथ से निकल जाए.

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क्यों कहा इस भाई ने- मैं तो चाहता हूं कि देश की हर लड़की बाप-भाई के हाथ से निकल जाए

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  • October 21, 2016 5:24 pm Asia/KolkataIST, Updated 8 years ago
नई दिल्ली. लड़कियों की आज़ादी पर परिवार और समाज की प्याज जैसी परत दर परत पहरों से आजिज एक भाई ने फेसबुक पर छोटा सा पोस्ट लिखा और कहा कि वो तो ये चाहता है कि सिर्फ उसकी बहन नहीं बल्कि देश की हर लड़की अपने भाई, बाप और घर-परिवार के हाथ से निकल जाए. फिर क्या था, फेसबुक पर नौजवानों ने इस कहानी से खुद को कनेक्ट पाया और देखते ही देखते ये पोस्ट वायरल हो गया.
 
पोस्ट लिखने वाले अविनाश कुमार चंचल पर्यावरण के क्षेत्र में काम करने वाली अंतरराष्ट्रीय एनजीओ ग्रीनपीस के साथ जुड़े हैं जबकि उनकी बहन अंशु कुमार जेएनयू से पढ़ाई कर रही हैं और पटना यूनिवर्सिटी में छात्रसंघ की आक्रामक महासचिव रह चुकी हैं.
 
महिला अधिकारों की वकालत करने वाली अंशु को सोशल मीडिया पर ट्रॉल्स भद्दी-भद्दी गालियां दे रहे थे जिससे परेशान होकर उनके भाई अविनाश ने एक फेसबुक पोस्ट लिखा है. अविनाश ने क्या लिखा, उनके ही शब्दों में आगे पढ़िए.
 
“हाँ Anshu Kumar बहन है मेरी. और हां, वो मेरे हाथ से निकल गयी है. मैं तो चाहता हूं कि देश की हर लड़की अपने भाई, बाप और घर के हाथ से निकल जाए. घर की इज़्ज़त मिटटी में मिला दे. खुद की पसंद से अपनी ज़िंदगी के फैसले लें, खुद के अनुभव से दुनिया देखे, उसे तौले और गलत को गलत कहने की हिम्मत जुटाये. 
 
नफरत फैलाने वाले, सनकी सामंतियों के खिलाफ लिखे, बोले और जरूरत हो तो चिल्लाये. इस बीच मर्दवादी समाज की खूब गालियां खाये, लेकिन अपना भविष्य अपने हाथ में ले ले. अपना हर फैसला खुद ले, अपने पसंद की सब्जेक्ट पढ़े, पसंद के शहर में रहे. अकेले घूमने निकल जाए, भाई को सेक्युरिटी गार्ड न बनने दे, अपने पसंद का ही पार्टनर चुने और छोड़े. 
 
वो ‘बदनाम-बदचलन’ बहन, प्रेमिका, बेटी बने. आमीन.”
 
 

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