नई दिल्ली. चीन के लैब में तैयार हीरे की बिक्री हिंदुस्तान के बड़े शहरों में धड़ल्ले से हो रही है. इसके लिए जूलरी शॉप से आपको बाकायदा सर्टिफिकेट भी मिलता है. एक अनुमान के मुताबिक चीन से हर रोज दस हजार से ज्यादा हीरे चीन से निर्यात हो रहे हैं. इनका एक बड़ा हिस्सा चोरी-छुपे भारत पहुंच रहा है. बड़े शहरों में भी चीन में बने हीरों ने घुसपैठ कर ली है.
असली और नकली के इस खेल के बीच फर्क कैसे किया जाए. अब जरा वो समझिए क्योंकि आम तौर पर ब्रांडेड शॉप से हीरा खरीदने पर आपको एक सर्टिफिकेट मिलता है. इस सर्टिफिकेट को लेने के बाद आप निश्चिंत हो जाते हैं कि जो हीरा आपने खरीदा है वो असली है लेकिन ऐसा बिल्कुल भी नहीं है.
नैचुरल और लैब में बने दोनों ही डायमंड खरीदने पर आपको सर्टिफिकेट दिया जाता है. चीनी हीरे के साथ मिलने वाले सर्टिफिकेट में बेहद बारीक अक्षरों में लिखा रहता है- ‘ग्रोन इन लेबोरेट्री‘ यानी ये हीरा लैब में तैयार हुआ है लेकिन असली और नकली के धंधे में बड़ा खेल दुकानदार भी कर रहे हैं. दुकानदार इस लाइन को लेजर से धुंधला कर देते हैं या फिर हटा देते हैं.चीन की लैब में बन रहे हीरे क्वालिटी में असली हीरो को टक्कर देते हैं.
फॉग टेस्ट
ये बेहद आसान टेस्ट है. डायमंड पर मुंह से गर्म हवा की भाप दें, अगर डायमंड पर भाप बनी रहे तो इसका मतलब है. ये नकली है और अगर भाप पिघल बन जाए तो समझ लीजिए कि आपने असली डायमंड को पहचान लिया है.
न्यूजपेपर टेस्ट
हीरे के जरिए अगर आपने न्यूजपेपर में लिखे अक्षर पढ़ लिए तो समझ लीजिए कि आपका हीरा मिट्टी के बराबर है क्योंकि असली हीरे के जरिए आप एक भी अक्षर नहीं पढ़ सकते.
स्पॉर्कल टेस्ट
डायमंड में अगर रेनबो स्पॉर्कल के साथ ही अलग-अलग कलर भी नजर आएं तो इसका मतलब वो असली है क्योंकि नकली हीरे में आपको कोई कलर नजर नहीं आएगा.
वाटर टेस्ट
रियल डायमंड हाई डेनसिटी के होते हैं. पानी से भरे ग्लास में डालते ही ये डूब जाता है लेकिन अगर आपका डायमंड पानी में तैरने लगे तो समझ लीजिए कि ये नकली या फिर लैब में तैयार किया गया है.
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