देहरादून. उत्तराखंड के मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कहा है कि केदार घाटी में शव पाए जाने की घटना के वह जिम्मेदार वह नहीं है. उनका कहना था कि आपदा 2013 में आई थी तब वह राज्य के मुख्यमंत्री नहीं थे. उनका निशाना पूर्व मुख्यमंत्री और अब बीजेपी नेता विजय बहुगुणा पर था.
उन्होंने कहा कि जो लोग इस मामले में राज्य सरकार पर विफलता का आरोप लगा रहे हैं उनको उस समय के मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा से सवाल पूछना चाहिए जिन्होंने सर्च ऑपरेशन बंद करवा दिया था. आपको बता दें कि आपदा के बाद पहला सर्च ऑपरेशन विजय बहुगुणा के मुख्यमंत्री रहते ही खत्म कर दिया गया था.
उत्तराखंड के सीएम ने कहा कि यह हैरानी वाली बात है कि सर्च ऑपरेशन बिना इस बात के सोचे समाप्त करने के आदेश दे दिए गए कि नदियों के साथ बहकर आई गाद में भी कुछ शव दबे होंगे जो अब इधर-उधर बिखरे पड़े हुए हैं.
वहीं रावत केदार घाटी में पाए गए शवों को ढूढ़ने का भी क्रेडिट लेने से नहीं चूके. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार की ओर ‘हितो पहाड़’ नाम का अभियान चलाया जा रहा है जिससे जुड़ी टीम ने इन शवों को पहली बार देखा है.
उन्होंने कहा कि गढ़वाल आईजी संजय गुंजयाल की देखरेख में एक टीम बनाई गई है जो अब तक 31 शवों को खोज चुकी है. जिनसे डीएनए सैंपल लेने के बाद उनका हिंदू रीति-रिवाजों से इलाज किया जा रहा है. रावत ने कहा कि एक सर्च ऑपरेशन उस इलाके में चलाया जा रहा है जो अगले 10 दिन तक जारी रहेगा.
हालांकि रावत ने इस बात को भी माना कि जिस तरह से आपदा में लोगों मारे गए थे, उन सभी के शवों को खोज निकालना किसी भी सरकार के बूते की बात नहीं है. उन्होंने कहा ‘हमने पहले भी कहा था कि अभी भी कई संख्या में शव जमीन के अंदर पड़े हो सकते हैं और इस बार के सर्च ऑपरेशन के खत्म हो जाने के बाद भी हम दावे से नहीं कह सकते हैं कि सभी को खोज निकाला गया है’.
आपको बता दें कि 2013 में जब चारधाम यात्रा चल रही थी तभी भारी बारिश के चलते उत्तराखंड की सभी नदियों में बाढ़ आ गई थी जिसकी वजह से कई हजार लोग उस आपदा में मारे गए थे.