नई दिल्ली. पत्नी का जल्दी-जल्दी मायके जाना और लंबे समय तक वहीं टिके रहना भी अब तलाक का आधार बन सकता है. दिल्ली हाईकोर्ट ने ऐसी ही एक मामले से जुड़े यह अहम फैसला सुनाया है.
जस्टिस प्रदीप नंदराजोग और जस्टिम प्रतिभा की बेंच ने एक महिला की ओर से दाखिल की गई निचली अदालत के फैसले के खिलाफ याचिका की सुनवाई में कहा कि महिला का बार-बार मायके चले जाना परित्याग की श्रेणी में आता है.
इसी से परेशान महिला के पति ने निचली अदालत में तलाक की अर्जी दाखिल की थी जहां उसके पक्ष में फैसला सुनाया गया. लोअर कोर्ट के इस फैसले के खिलाफ महिला ने हाईकोर्ट में याचिक दखिल की थी. सुनवाई के दौरान पति-पत्नी के बीच की कई बातें सामने आई.
बेंच को बताया गया कि जब भी महिला मायके जाती है तो वहां 15 से 20 दिन रहती है. साल 2000 में पिता की मौत के बाद वह एक साल तक अपने मायके में रही. इसके बाद जब मामला 2005 में पत्नी की इन हरकतों से परेशान पति ने अदालत से गुहार लगाई तो वहां दोनों में समझौता करा दिया गया और साथ रहने की सलाह दी गई.
लेकिन फैसले के चार दिन बाद ही पत्नी फिर मायके चली गई और तबसे दोबारा ससुराल वापस नहीं आई. हाईकोर्ट में यह बात भी सामने आई कि 2005 में महिला ने पति की दो बहनों के खिलाफ दहेज का झूठा मुकदमा दर्ज करा दिया था.
जिसे 9 साल बाद पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने रद्द कर दिया था. दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि महिला ने इतने दिनों तक अपने पति और उसके परिवार को बेहद मानसिक प्रताड़ना दी है. अब दोनों के दोबारा साथ रहने की कोई उम्मीद नहीं है.
क्या है पूरा मामला
मिली जानकारी के मुताबिक साल 1998 में दोनों की शादी हुई थी. 2010 में पति ने तलाक की अर्जी डाली थी. 2016 में लोअर कोर्ट ने पति के पक्ष में सुनाया. इसी फैसले के खिलाफ महिला हार्ईकोर्ट गई थी.