कल अष्टमी है और इस दिन मां महागौरी की पूजा की जाती है. कई भक्त कल अपने व्रत कंजक पूजन और लोंगड़ा पूजन के बाद खत्म करेंगे. ऐसे में पूजन की सही जानकारी होना जरुरी है.
ऐसी मान्यता रही है कि मां दुर्गा जितना खुश कंजक पूजन और लोंगड़ा पूजन से होती हैं उतना भेंट, पूजा-पाठ और दान से भी नहीं होती. अष्टमी पूजन के लिए कल आप कन्याओं को घर आमंत्रित करें. इस बात का ध्यान रखें कि उनकी उम्र दो साल से कम और नौ साल से ज्यादा न हो. कन्याओं के साथ एक लड़के यानि कि लोंगड़ा को भी शामिल करें.
यह बात ध्यान देने वाली है कि बिना लोंगड़े के कन्या पूजन पूरा नहीं होता. ऐसा माना जाता है कि एक कन्या की पूजा करने से ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है, दो कन्याओं को पूजने से भोग और मोक्ष की प्राप्ति होती है, गर तीन कन्याएं पूजी जाएं तो धर्म, अर्थ और काम, चार कन्याओं को पूजने से राज्यपद, पांच कन्याओं को पूजने से विद्या, छ: कन्याओं की पूजा से छ: प्रकार की सिद्धियों की प्राप्ति होती है.
इसी तरह 7 कन्याओं को पूजने से राज्य की, आठ कन्याओं से धन-संपदा और नौ कन्याओं की पूजा से पृथ्वी प्रभुत्व की प्राप्ति हो जाती है. अष्टमी के दिन पूजा करने के लिए पहले कन्याओं और लोंगड़े के पैर धो कर उन्हें उनके आसन पर बिठायें. इसके बाद उनकी कलाई पर मौली और रोली से माथे पर तिलक लगाएं. इसके बाद सुखे काले चने, हलवा, पूरी, खीर, पूआ और फल का भोग लगा कर न्याओं और लोंगड़े को प्रसाद दें.
इसके साथ साथ उन्हें कोई छोटा उपहार भी जरूर दें. कन्याओं को जब घर से विदा करें तो आशिर्वाद के तौर पर उनसे थपकी लेना ना भूलें.