पटना. बिहार में 5 अप्रैल से लागू पूर्ण शराबबंदी के बाद से ही शराब माफियाओं ने तस्करी से शराब मंगाने और उसे होम डिलीवरी के तौर पर ग्राहकों के घर पहुंचाने का धंधा शुरू कर रखा है. बिहार में 5 अप्रैल वाला शराबबंदी आदेश तो पटना हाईकोर्ट से रद्द हुआ लेकिन नया शराबबंदी कानून 2 अक्टूबर से लागू हो गया है.
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सूत्रों के मुताबिक अप्रैल में पूर्ण शराबबंदी के बाद शराब के धंधे में लगे जो लोग बेरोजगार हुए वो आजकल शराब को झारखंड या दूसरे पड़ोसी राज्यों से तस्करी के जरिए मंगाते हैं. ग्राहकों को माफियाओं की जानकारी है ही. ग्राहक फोन करता है और माफिया उसके घर पर स्टाफ के हाथों बाइक से शराब सप्लाई करवा देता है.
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होम डिलीवरी की इस सेवा को पाने की शर्त बस इतनी है कि ग्राहक पर माफिया को भरोसा हो और वो पुलिस की मुखबिरी कर रहा है, ऐसा कोई शक शराब माफिया को नहीं होना चाहिए. माफिया इस सेवा के बदले 100 रुपए का सामान 200 से 300 रुपए तक में देता है.
शराब की होम डिलीवरी का यह धंधा बिहार के अमूमन हर जिले में चल रहा है. दूसरे राज्यों से शराब को बालू के ट्रक में बालू के अंदर, गिट्टी के ट्रक में गिट्टी के अंदर, कोयले के ट्रक में कोयले के अंदर, एलपीजी सिलिंडर के नीचे की सतह को खोलकर उसमें भरकर लाया जा रहा है. कई बार ऐसे तस्कर पकड़े गए हैं लेकिन धंधा बदस्तूर जारी है.
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नीतीश कुमार सरकार ने 1 अप्रैल को बिहार में देसी शराबबंदी लागू किया था जिसमें 5 अप्रैल को विदेशी को भी शामिल करके पूरी तरह से शराबबंदी कर दी गई. पटना हाईकोर्ट ने 5 अप्रैल वाले आदेश को रद्द कर दिया है जिसके खिलाफ बिहार सरकार सुप्रीम कोर्ट चली गई है और इसी शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में उस पर सुनवाई होगी.
अगस्त महीने में नीतीश सरकार ने शराबबंदी को लेकर विधानसभा और विधान परिषद से एक नया और काफी कड़ा कानून पास कराया था जिसे राज्यपाल ने सितंबर में अनुमोदित कर दिया. नीतीश सरकार ने 2 अक्टूबर से उस नए कानून को लागू कर दिया है जिसकी वजह से बिहार में शराबबंदी का सूर्यास्त नहीं हुआ है.
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सूत्रों के मुताबिक पटना हाईकोर्ट ने 5 अप्रैल वाले पूर्ण शराबबंदी आदेश को लेकर अपने फैसले में नए शराबबंदी कानून पर कोई भी टिप्पणी नहीं की थी इसलिए नए कानून के खिलाफ कोई नई याचिका दायर होगी तभी उस पर हाईकोर्ट का रुख साफ हो पाएगा.
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