नई दिल्ली. एक नई प्रजनन तकनीक से तीन माता-पिता वाले एक बच्चे को जन्म दिया गया है. पांच महीने के इस बच्चे को उसके मां-बाप के डीएनए के अलावा एक अन्य डोनर के जेनेटिक कोड से पैदा किया गया है.
दरअसल, बच्चे की मां को लीघ सिंड्रोम नाम की जेनेटिक बीमारी है. ये बीमारी माइटोकॉन्ड्रियल डीएनए के जरिए बच्चे में पहुंच जाती है. इस बीमारी से व्यक्ति का नर्वस सिस्टम प्रभावित हो जाता है.
इस बीमारी के कारण महिला के स्वास्थ्य को तो कोई नुकसान नहीं हुआ लेकिन उसके चार बच्चों की मौत हो गई. इसके बाद महिला ने प्रजनन के इस तरीके को अपनाने का फैसला लिया. विज्ञान शोध पत्रिका न्यू साइंटिस्ट ने इसकी खबर दी है. इस बच्चे का जन्म जॉर्डन में हुआ लेकिन ये इलाज अमेरिकी वैज्ञानिकों ने किया.
कहीं आलोचना, कहीं समर्थन
न्यूयॉर्क के न्यू होप फर्टिलिटी क्लिनिक के डॉक्टर जॉन झांग बताते हैं कि इस पद्धति में मां के अंडाणु से न्यूक्लियस लेकर उसे डोनर के अंडाणु में डाल दिया जाता है. डोनर के अंडाणु से पहले ही उसका न्यूक्लियस निकाल दिया जाता है लेकिन उसमें डोनर का स्वस्थ माइटोकॉन्ड्रिया डीएनए मौजूद रहता है. माइटोकॉन्ड्रिया का काम कोशिका को ऊर्जा प्रदान करना है.
हालांकि, इस पद्धति से प्रजनन की आलोचना भी की जा रही है. आलोचकों ने चेतावनी दी है कि इस माइटोकॉन्ड्रिया डोनेशन नाम की नई और विवादास्पद तकनीक की जांच होनी चाहिए. इसे तीन माता-पिता का बच्चा कहने पर भी आपत्ति जताई जा रही है. वहीं, सर्मथकों ने इस कदम को चिकित्सा के क्षेत्र में एक नए युग की शुरूआत कहा है. इससे ऐसी दुर्लभ आनुवांशिक बीमारी वाले लोगों को मदद मिलेगी.