यह सुनकर आपके होश उड़ जाएंगे कि दिल्ली में प्रदूषण चिंताजनक स्थित में पहुंच गया है. अगर यह ऐसे ही चलता रहा तो आपका अपना शहर दिल्ली रहने लायक भी नहीं रह जाएगा. यह चिंता बेवजह नहीं है. सेंटर फॉर साइंस एंड एंवायरमेंट (सीएसई) ने अपनी रिपोर्ट में साफ कहा है कि आजोन के बढ़ते स्तर से दिल्ली महफूज नहीं है.
नई दिल्ली. यह सुनकर आपके होश उड़ जाएंगे कि दिल्ली में प्रदूषण चिंताजनक स्थित में पहुंच गया है. अगर यह ऐसे ही चलता रहा तो आपका अपना शहर दिल्ली रहने लायक भी नहीं रह जाएगा. यह चिंता बेवजह नहीं है. सेंटर फॉर साइंस एंड एंवायरमेंट (सीएसई) ने अपनी रिपोर्ट में साफ कहा है कि आजोन के बढ़ते स्तर से दिल्ली महफूज नहीं है.
लुटियन जोन हो या अस्पताल कुछ भी सेफ नहीं
अपनी रिपोर्ट में सीएसई ने कहा है कि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के लुटियंस दिल्ली वाले क्षेत्र से लेकर दिल्ली के अस्पताल तक इससे महफूज नहीं है. यह लोगों के लिए खतरे का संकेत है. इससे आस्थमा व अन्य सांस से संबंधित बीमारी के मरीजों को परेशानी बढ़ेगी. सीएसई का कहना है कि राजधानी के तापमान में जैसे जैसे बढोतरी हुई है यहां पर खतरनाक ओजोन के स्तर में भी वृद्धि दर्ज की गई है.
सामने आए चौंकाने वाले आंकड़े
दिल्ली के आरकेपुरम, सिविल लाइंस, मंदिर मार्ग, पंजाबी बाग में दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति ने जो प्रदूषण का स्तर मापने के लिए संयंत्र लगाया है, इससे अप्रैल और मई माह के प्राप्त आंकड़ें चौंकाने वाले हैं. इस दौरान राजधानी में अधिकतम तापमान 40 डिग्री सेल्सियस के आसपास रहा. अधिक तापमान के साथ ही कार्बन मोनोआक्साइड और नाइट्रोजन आक्साइड के स्तर में वृद्धि के कारण सतह पर ओजोन में वृद्धि हुई है. सीएसई की निदेशक (वायू प्रदूषण) अनुमिता राय चौधरी के अनुसार दिल्ली की हवा की गुणवत्ता में खराबी मुख्य रूप से धूल, धुएं के कारण है न कि गैसों के कारण जो कि पश्चिमी देशों में सतही ओजोन प्रदूषण का मुख्य स्रोत होती हैं.
तापमान में वृद्धि से बड़ा ओजोन स्तर
तापमान में वृद्धि के कारण दिल्ली में खतरनाक ओजोन का स्तर बढ़ गया है और इस वर्ष गत वर्षों के मुकाबले ओजोन का स्तर अधिक रहा है. कुछ इलाकों में सतही ओजोन 120 पीपीबी तक अधिक था जिसे वायु गुणवत्ता सूचकांक में खराब के रूप में दर्ज किया गया. खराब ओजोन स्तर अगले कुछ दिन और रहेगा और उसके बाद इसमें कमी आनी शुरू हो जाएगी क्योंकि बारिश में दिनों में बादल छाने और उसके बाद गरज के साथ छींटे पडऩे की संभावना कुछ दिनों तक रहेगी इससे ओजोन का स्तर कम होगा. ओजोन के स्तर में वृद्धि स्वास्थ्य संबंधी कई समस्याएं पैदा कर सकती है. इसके चलते लोगों को कफ, गले में खराश, गहरी सांस लेने पर सीने में जलन, बेचैनी और दर्द और सांस फूलने आदि की समस्या का सामना करना पड़ सकता है.
ओजोन का अधिकतम स्तर
– लुटियंस दिल्ली के अंतर्गत आने वाले लोदी कालोनी इलाके में इसका स्तर 266 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर दर्ज किया गया है.
– एम्स अस्पताल के आसपास भी यह स्तर 250 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर दर्ज किया गया.
– सिविल लाइंस इलाके में 250 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर रिकार्ड किया गया. आरकेपुरम, पंजाबी बाग, मंदिर मार्ग इलाके में निर्धारित ओजोन का स्तर अधिक पाया गया.
क्या है ओजोन
– ओजोन नीले रंग की नेचुरल गैस है, जो ऑक्सीजन के तीन परमाणुओं से मिलकर बनी है. इसकी सघनता या डेंसिटी लगभग 10 पीपीएम है.
– ओजोन लेयर औसतन 300 डोबसन यूनिट मोटी है. यह हमारे वायुमंडल के वातावरण की पांच लेयर्स में से दो लेयर्स में मौजूद है.
– हमारी धरती की सतह के ऊपर फैली ट्रोपोस्फेयर में करीब ओजोन का 9 प्रतिशत भाग है. ओजोन लेयर का 91 प्रतिशत भाग स्ट्रैटोस्फेयर लेयर में है, जो धरती से 10-50 किलोमीटर ऊपर वायुमंडल में है.
– स्ट्रैटोस्फेयर लेयर के 10-35 किलोमीटर के हिस्से में ओजोन लेयर है.
बचाव ही उपाय
जल से बिजली और कोयला, तेल तथा गैस की खपत से ऊर्जा का उत्पादन होता है, जो हमारी रोजमर्रा की जिंदगी में काम आती है. लेकिन इनसे वातावरण में ग्रीन गैस और कार्बन डाई ऑक्साइड रिलीज होती है, जिससे वायु प्रदूषण और ओजोन लेयर को खतरा होता है. इसलिए हमें ज्यादा से ज्यादा सूर्य की रोशनी, बरसात का पानी जैसे प्राकृतिक संसाधन अपनाकर ऊर्जा-संरक्षण के उपाय करने चाहिए.
IANS से भी इनपुट