शिमला. हिमाचल के जंगलों से निकली डेंगू और चिकनगुनिया की तरह लक्षण लिए एक नई बीमारी लोगों को जकड़ने लगी है. इस बीमारी का नाम ‘स्क्रब टाइफस’ है. जो कि घास में पाए जाने वाले एक विशेष प्रकार के पिस्सुओं से हो रही है. सरकारी आंकड़ो के मुताबिक मौजूदा समय में करीब 850 से ज्यादा लोग इसकी चपेट में है और 24 मौतें भी हो चुकी हैं. ये पिस्सु पहाड़ी इलाके, जंगल और खेतों में ज्यादा पाए जाते हैं.
ये है बीमारी
स्क्रब टाइफस घास में पाए जाने वाले पिस्सुओं के काटने से होती है. इस पिस्सु के काटने से खतरनाक बैक्टीरिया रिक्टशिया सुसुगामुशी इंसान के खून में फैल जाता है जिस कारण इंसान की मौत भी हो सकती है. अब तक इस बीमारी से 24 लोगों की मौत भी हो चुकी है. पिस्सु के काटने से लिवर, दिमाग और फेंफडों में संक्रमण हो जाता है और मरीज मल्टी ऑर्गन डिसऑर्डर का शिकार हो जाता है. बैक्टीरिया की वजह से प्लेटलेट्स की संख्या भी घटने लगती है.
ऐसे करें पहचान
डराने वाली बात तो यह है कि इस बीमारी के लक्षण डेंगू और चिकनगुनिया की तरह ही है. इसलिए इसकी पहचान कर पाना काफी मुश्किल हो जाता है. सीबीसी, लिवर फंक्शनिंग और ब्लड टेस्ट के जरिए इसका पता लगाया जा सकता है. तेज बुखार, जोड़ो में दर्द, कंपकंपी के साथ बुखार भी इसके दूसरे लक्षण हैं.
ऐसे करें बचाव
अगर किसी में इस बीमारी के लक्षणों को पाया जाता है तो तरल डाइट लें और तेल से बनी चीजों से परहेज करें. इस दौरान एक हफ्ते से दो हफ्तों तक दवाओं का कोर्स नियमित रूप से चलता है. इसके अलावा हफ्ते में एक बार डॉक्टर से भी सलाह ले लेनी चाहिए. इसके अलावा शरीर को कपड़ो से पूरा ढक कर रखें, घरों के चारों ओर घास को ना होने दें और बुखार के लक्षण आते ही डॉक्टर से जांच करवाने से भी इस बीमारी से बचाव किया जा सकता है.
अधिकारियों को दिए निर्देश
यह गंभीर बीमारी अब शहरों तक भी अपनी पहुंच बना रही है. दिल्ली के AIIMS में करीब 30 लोग इस बीमारी का इलाज करवा रहे हैं. इस बीमारी को लेकर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जे पी नड्डा ने हिमाचल प्रदेश की सरकार को हर संभव मदद देने का भरोसा भी दिया है. साथ ही जागरूकता फैलाने और रोकथाम के उपायों के लिए भी अधिकारियों को निर्देश दिया गया है.