बरेली. जिस पुलिस पर लोगों की रक्षा का जिम्मा होता है, वही जब निर्दयी होकर भक्षक बन जाए तो लोगों का भरोसा टूटना लाजिमी है. बरेली में एक पुलिसकर्मी ने न सिर्फ एक छोटी बच्ची को घर में नौकरानी बनाकर रखा बल्कि जब उसकी पत्नी ने बच्ची को गर्म चिमटे से दागा तो वह बस देखता रहा.
उत्तर प्रदेश के बेरली में पढ़ाई और अच्छे रहन-सहन की उम्मीद लेकर आई नौ साल की बच्ची को फतेहगंज पश्चिमी थाने में सिपाही नईम ने अपने घर पर नौकर बना लिया. फिर उस बच्ची पर सिपाही की पत्नी जुल्म ढाने लगी. घर का काम करते हुए मासूम बच्ची से सिर्फ एक कप टूटने के कारण सिपाही की पत्नी ने उसके शरीर को गर्म चिमटे से दाग दिया. इसके बाद भी वह नहीं रुकी और अमानवीयता की हदें पार कर दीं. सिपाही ये सब होते हुए देखता रहा.
बच्ची के चिल्लाने की आवाज सुनकर पड़ोसी सुखा की बेटी जब उनके घर पहुंची तो वह बच्ची को देखकर हैरान हो गई. उसने बच्ची को वहां से बचाया और उसके माता-पिता को इसकी जानकारी दी. जब पिता ने अपनी बेटी का हाल देखा तो वह सिहर उठा. उसने सिपाही और उसकी पत्नी की शिकायत एसडीएम के पास की.
पढ़ाने के नाम पर लाया था बच्ची
इसके बाद भी नईम और उसकी बीवी पर कोई असर नहीं पड़ा. शिकायत करने बाद बच्ची के पिता पर समझौता करने का दबाव बनाने लगे. लेकिन, पिता के न मानने पर सिपाही और उसकी पत्नी के खिलाफ मारपीट और पोक्सो के तहत मामला दर्ज कर लिया गया. सिपाही को भी निलंबित कर दिया गया.
सिपाही नईम शहर के मीरगंज के अफसरयान मोहल्ले में रहता है. उसके पड़ोसी सुखा की ससुराल भेसोड़ी गांव मिलक में है. वह बच्ची इसी गांव की रहने वाली है. बच्ची का पिता मजदूर है. सुखा ने ही नईम और बच्ची के पिता की मुलाकात कराई थी. नईम ने बच्ची के पिता को उसकी पढ़ाई-लिखाई की जिम्मेदारी उठाने का भरोसा दिलाया था.
पिता ने बच्ची के अच्छे भविष्य की खातिर नईम पर भरोसा कर लिया और बच्ची को उसके साथ भेज दिया. लेकिन, यहां आकर पढ़ाई तो दूर की बात थी बच्ची को ठीक से रहने भी नहीं दिया. सिपाही उससे बंधुआ मजदूर की तरह अपने घर में काम कराने लगा. नईम का नाम तस्करी के मामलों में भी सामने आ चुका है। इसी कारण दो महीने पहले उसे मीरगंज थाने से हटाकर फतेहगंज पश्चिमी थाने में ट्रांसफर कर दिया गया था।