सीकर. कहीं अपने परिजन की लाश को लेकर घूमने के मामले, तो कहीं बच्चे को इलाज न मिलने से कंधे पर ही दम तोड़ने का किस्सा. देश में बार-बार स्वास्थ्य सुविधाओं पर सवाल उठाने वाली घटनाएं हो रही हैं.
इस बार मामला सीकर जिले के गणेश्वर गांव का है. जहां इलाज न करा पाने के कारण इस गांव के मुकेश की बीवी मीना देवी उसे गोद मेंं उठाकर लोगों के सामने मदद की फरीयाद लगा रही है. मीना देवी के पास अपने पति के इलाज के लिए पैसे नहीं हैं. हालात यह हैं कि अब या तो कोई उसकी मदद करे या वह पति की जान धीरे-धीरे जाते देखे.
मुकेश पिछले सात-आठ सालों से कैंसर से पीड़ित है और इलाज करा पाने में भी असमर्थ है. इस दंपत्ति के तीन बच्चे भी हैं और परिवार के पास इलाज तो क्या भरपेट खाने के लिए भी पैसे नहीं हैं.
तीन लाख रुपयों ने किया मजबूर
मीना देवी बताती हैं कि मुकेश दिल्ली में मजदूरी किया करता था. सात साल पहले उसे गले का कैंसर हो गया. जितना हो सका इलाज कराया लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ. बाद में जब भामाशाह कार्ड बना, तो इलाज होने की उम्मीद बनी. पर जब पति को जयपुर के एसएमएस अस्पताल लेकर गई तो सारी आशाएं खत्म हो गईं.
अस्पताल जाकर पता चला की आॅपरेशन के लिए तीन लाख रुपयों की जरूरत है. मीना देवी के पास पैसे नहीं थे, तो वह इलाज न करा सकी और वापस गांव आ गई. अब उन्हें सिर्फ गांव वालों से मदद की उम्मीद है ताकि पति का इलाज हो सके. हालांकि, गांव की ओर से इन्हें हर संभव मदद की जा रही है.