रांची. सरकार चाहे किसी की भी हो बच्चों के शिक्षा के ऊपर अक्सर बात होती है या नए-नए प्लान बनते हैं. इन सब के बावजूद झारखंड के लोहरदगा की हालात ऐसी है जहां के किस्को प्रखंड क्षेत्र के कोचा गांव में एक प्राथमिक विद्यालय है जो कब्रिस्तान में है.
यह बच्चे कब्रिस्तान में खेलते, खाते और पढ़ते हैं. वह भी एक शव नहीं, सैकड़ों शवों के बीच.कब्रिस्तान में स्कूल होने के कारण इस स्कूल के सभी स्टूडेंट शवों के साथ अपना वक्त गुजारते हैं. इतना ही नहीं, खाना भी कब्रिस्तान में शव के साथ ही करते हैं, क्योंकि इस स्कूल के पास एक कमरे के अलावा अपना कुछ भी नहीं है.
बच्चे स्कूल की चौखट से जब जमीं पर अपना कदम रखते हैं तो इन्हीं शव के बीच रखते हैं. इनके साथ रोजाना उठना-बैठना अब इन बच्चों के लिए आम बात है.
शव दफनाते वक्त स्कूल के कमरे बंद हो जाते हैं
टीचर अनुसन्ना तिर्की बताती हैं कि जब कभी यहां शव दफनाए जाते हैं तो स्कूल की पढ़ाई ठप रखनी पड़ती है. ऐसे समय दो शिक्षकों के साथ 89 छात्रों को एक कमरे में बंद रहना होता है, तब तक जब तक शव दफनाने की प्रक्रिया पूरी नहीं हो जाए.
सिलेबस नहीं टीचर मर्जी से होती है पढ़ाई
इस स्कूल में एक साथ 89 बच्चे पढ़ाई करते हैं. जगह पूरी नहीं है, लिहाजा हर क्लास और हर उम्र के बच्चे एक साथ एक बार में एक टीचर पढ़ते हैं. यानी अपनी क्लास और सिलेबस के अनुसार नहीं, बल्कि वही पढ़ते हैं जो उनके शिक्षक की मर्जी होती है.