नई दिल्ली. स्वामीनारायण संप्रदाय हिंदुओं का सबसे धनी संप्रदा है. दुनिया में 1100 से ज्यादा भव्य मंदिर. इन 1100 मंदिरों में से 900 मंदिर अकेले इस संप्रदाय के छठे प्रमुख स्वामी महाराज बनवाए. दुनिया भर में अक्षरधाम मंदिरों को मशहूर करने वाले स्वामी महाराज ने आज अक्षरवास ले लिया. उनकी इस अंतिम यात्रा में 50 देशों के दो लाख से ज्यादा अनुयायी शामिल हुए.
सारंगपुर धाम में मंत्रोच्चारण और भजन के साथ स्वामी महाराज की अंतिम यात्रा दोपहर करीब तीन बजे निकली. दो लाख से ज्यादा अनुयायी उनकी अंतिम यात्रा में शामिल हुए. संपत्ति से मोह नहीं लेकिन भव्यता से बेहद लगाव. स्वामी जी की आखिरी यात्रा भी वैसी ही भव्य रही. प्रमुख स्वामी महाराज शांति लाल पटेल का पार्थिव शरीर एक रथ पर रखा गया. पांच साधु-संतों ने इस रथ को खींचा.
मंदिर परिसर में एक जगह स्वामी जी का पार्थिव शरीर रखा गया. यहां योग गुरु स्वामी रामदेव ने उन्हें नमन किया. बीजेपी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी ने भी स्वामी जी के आखिरी दर्शन किए. उनके पैर छुए. इसके बाद साधु संतों ने प्रमुख स्वामी के पार्थिव शरीर को कंधे पर उठाया. सारंगपुर धाम में अनुयायी अपनी जगह से ही स्वामी जी को श्रद्धांजलि देते रहे.
करीब चार बजे स्वामी महाराज का पार्थिव शरीर समाधि स्थल पर लाया गया. साधु संतों ने स्वामी को आखिरी बार प्रणाम किया और फिर उनकी समाधि को परंपरा के अनुरूप सफेद कपड़े से ढंका गया.
इसके बाद सारंगपुर धाम में फिर से मंत्रोच्चारण शुरू हुआ. स्वामी जी के अंतिम दर्शन के लिए स्वामी नारायण मंदिर परिसर में लाखों श्रधालु थे. इसके अलावा इमारतों के ऊपर और आसपास के मकानों पर हजारों अनुयायी मौजूद थे.
बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह, लालकृष्ण आडवाणी, गुजरात के मुखमंत्री और कई बड़े नेता स्वामी जी की अंतिम यात्रा में शामिल हुए. सौराष्ट्र के सारंगपुरधाम मंदिर परिसर में प्रमुख स्वामी को नए मुखिया बने महंत स्वामी सहित सात शीर्ष संतगण ने मुखाग्नि दी.