नई दिल्ली. दिल्ली हाइकोर्ट ने देशद्रोह के मामले में आरोपी जेएनयू छात्रसंघ अध्यक्ष कन्हैया कुमार को स्थायी जमानत देने से इंकार करते हुए उन्हें निचली अदालत में अपील दायर करने के निर्देश दिए हैं. कन्हैया कुमार ने स्थायी जमानत के लिए हाइकोर्ट में अपील की थी. वह इस समय 2 मार्च को मिली छह माह की अंतरिम जमानत पर बाहर हैं. यह समययीमा 1 सितंबर को खत्म होने वाली है.
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न्यायमूर्ति पीएस तेजी ने कन्हैया की तरफ से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता रिबेका जॉन की उस दलील को खारिज कर दिया कि कन्हैया ने अंतरिम जमानत के दौरान तय शर्तों का कोई उल्लंघन नहीं किया और जांच में पूरी तरह सहयोग भी किया है. ऐसे में उन्हें मिली अंतरिम जमानत को स्थायी जमानत में तब्दील किया जाए.
कोर्ट में कुछ मिनट तक सुनवाई के बाद कन्हैया के आवेदन को खारिज करके उन्हें निर्देश दिया गया कि वह नियमित जमानत के लिए निचली अदालत में आवेदन दायर कर सकते हैं.
पिछले हफ्ते, कोर्ट ने दो निजी अपीलों को भी खारिज कर दिया था, जिनमें कन्हैया कुमार को दी गई छह माह की अंतरिम जमानत को रद्द करने की मांग की गई थी. इसके लिए आधार दिया गया था कि कन्हैया ने सार्वजनिक तौर पर राष्ट्र विरोधी भाषण देकर जमानत की शर्तों का उल्लंघन किया है.
हालांकि, इस पर कोर्ट ने कहा कि पुलिस अंतरिम जमानत रद्द करने का समर्थन नहीं कर रही है और इसलिए किसी बाहरी व्यक्ति को आपराधिक मामले में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए.
कन्हैया कुमार को 8 फरवरी को जेएनयू कैंपस में कार्यक्रम के दौरान तथाकथित तौर पर लगे राष्ट्र विरोध नारों के मामले में देशद्रोह के मामले में 12 फरवरी को गिरफ्तार किया गया था.
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