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क्या चीन के रहने वाले थे हिन्दुओं के भगवान पवनपुत्र हनुमान ?

नई दिल्ली. हनुमान, जिनके जिक्र के बिना रामायण पूरी नहीं हो सकती, जो पूरी हिंदू संस्कृति पर छाए हुए हैं, जिनका जिक्र महाभारत तक में है, क्या वो चीन से भारत आए थे. क्या चीन से भारत आकर वो भगवान राम से मिले और फिर लंका युद्ध में अहम भूमिका निभाई या लंका युद्ध के बाद वो चीन चले गए थे ?
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चीन की दंत कथाओं में एक ऐसे दिव्य वानर का जिक्र है जो एक देवी के अंश से पैदा हुआ था. उसके पिता कोई नहीं थे और उसमें अद्भुत शक्तियां थीं. मंकी किंग की शक्ल बिल्कुल वानर जैसी थी लेकिन वो दो पैरों पर चल सकता था. उसकी अपार शक्ति का सामना करना किसी देव या दानव के वश में नहीं था. युद्धकला में उसका कोई मुकाबला ही नहीं था.
हनुमान जैसी शक्तिवाला चीन का मंकी किंग !
इतना ही नहीं चीन के प्राचीन ग्रंथों में दर्ज मंकी किंग की कथाएं कहती हैं कि मंकी किंग के पास जो सबसे अद्भुत शक्ति थी वो थी हवा में बिना किसी सहारे के उड़ने की. ठीक भगवान हनुमान की तरह. और तो और मंकी किंग के बारे में चीनी ग्रंथों में साफ लिखा है कि उनकी एक और अद्भुत शक्ति ये थी कि वो किसी का भी रूप बदल सकते थे.
हनुमान जी की रूप बदलने वाली शक्ति का जिक्र रामायण में बार-बार आता है. अब सवाल ये उठता है कि चीनी संस्कृति में, चीन के प्राचीन ग्रंथों में जिस मंकी किंग का वर्णन है, वो हू-ब-हू हनुमान जी जैसा क्यों है. क्या वाकई हनुमान जी कभी चीन में रहे थे. क्या हमारे हनुमान जी का ही पराक्रम चीन की दंतकथाओं में मंकी किंग के नाम से दर्ज है.
हनुमान और मंकी किंग का हिमालय कनेक्शन
हिंदू संस्कृति में हनुमान के बचपन का जिक्र है जब वो एक तपस्वी ऋषि के श्राप से अपनी शक्तियां भूल गए थे. इसके बाद उनका वृतांत उनके बड़े हो जाने पर रामायण में तब आता है जब वो सुग्रीव के कहने पर रूप बदलकर राम और लक्ष्मण से मिलते हैं. इस बीच हनुमान के बारे में बहुत ज्यादा जानकारी हिंदू ग्रंथों में नहीं है.
अब सवाल ये उठता है कि क्या इस बीच हनुमान चीन में रहे थे. क्या इसी दौरान वो मंकी किंग के नाम से चीन में देवता कहलाए. हिंदू धर्म में हनुमान जी को केसरी और माता अंजना का पुत्र बताया जाता है वो पवन देव के आशीर्वाद से उत्पन्न हुए थे इसलिए उन्हें पवनपुत्र भी कहा जाता है.
केसरी हिमालय के राजा थे. यानी हिमालय से हनुमान का गहरा रिश्ता है. और हिमालय के ठीक उस पार है चीन. वो चीन जिसके धर्मग्रंथ और प्राचीन दंतकथाओं में जिक्र है एक ऐसे मंकी किंग का जो महाबली था. जिसका सामना कोई नहीं कर सकता था. क्या ये संभव है कि हिमालय के राजा केसरी के बेटे ही चीन में मंकी किंग कहलाए और मंकी किंग हनुमान ही थे.
हनुमान भी शरारती, मंकी किंग भी शरारती
हिंदू धर्मग्रंथों में हनुमान जी के बचपन के बारे में जो किस्से दर्ज हैं वो बताते हैं कि हनुमान जी बचपन में बेहद शरारती थे. ऐसा ही चीन के धर्मग्रंथों में मंकी किंग के बारे में लिखा है. बाकायदा मंकी किंग की शरारतों का चीनी दंतकथाओं में विस्तार से वर्णन है. एक जिक्र तो ये भी है कि मंकी किंग ने बाकायदा स्वर्ग पर आक्रमण कर दिया था.
हिंदू धर्मग्रंथों में हनुमान जी के स्वर्ग पर हमले का जिक्र नहीं है लेकिन ये ज़रूर लिखा है कि स्वर्ग के राजा इंद्र से हनुमान का विवाद हो गया था और इंद्र के वज्र प्रहार से हनुमान अचेत हो गए थे. इसके बाद देवताओं ने हनुमान से माफी मांगते हुए उनको अलग-अलग वरदान दिए थे.
हिंदू संस्कृति और चीनी संस्कृति की इन कथाओं में भी बेहद समानता है. दोनों से कम से कम इतना तो साफ हो ही जाता है कि मंकी किंग और हनुमान दोनों का स्वर्ग से विवाद हुआ था. क्या ये मुमकिन नहीं कि ये दोनों असल में एक ही थे. बहरहाल ये वो सवाल है जिसका जवाब शायद ही कोई दे सके.
हनुमान और मंकी किंग के हथियार
अब मंकी किंग और हनुमान जी के हथियारों को देखिए. चीनी धर्मग्रंथों के मुताबिक मंकी किंग सिर्फ एक ही हथियार से लड़ते थे और वो धातु की बनी एक लाठी जैसा था. यानी वो धारदार हथियार का इस्तेमाल नहीं करते थे. हनुमान जी के द्वारा भी कभी किसी धारदार हथियार के इस्तेमाल का जिक्र रामायण में नहीं है. वो सिर्फ गदा से युद्ध करते थे.
गदा जिसके बारे में शायद चीनी संस्कृति को उस वक्त जानकारी तक नहीं थी लेकिन ये समानता भी अपने आप में कम नहीं कि दोनों के हथियार काफी हद तक एक दूसरे से मिलते-जुलते थे.
हनुमान और मंकी किंग की दिव्य शिक्षा
हिंदू धर्मग्रंथों में बताया जाता है कि हनुमान जी को शिक्षा और सिद्धियां स्वयं सूर्यदेव से प्राप्त हुई थीं. जबकि चीन की संस्कृति भी कहती है कि एक महान गुरू मंकी किंग को बचपन में ही शिक्षा देने के लिए अपने साथ ले गए थे.
उन्होंने ही मंकी किंग को शास्त्र और शस्त्रों की शिक्षा दी और महान योद्धा बना दिया. इतना ही नहीं गुप्त शक्तियों की प्राप्ति भी मंकी किंग को इसी गुरू से हुई थी. यानी इस मामले में मंकी किंग और हनुमान जी में काफी समानताएं हैं.
हनुमान की तरह मंकी किंग भी बाल ब्रह्मचारी
हनुमान को बाल ब्रह्मचारी कहा जाता है. वो संसार की मोह माया से दूर सिर्फ राम का नाम जपते रहे. कमाल देखिए कि चीन के धर्मग्रंथों में जिस मंकी किंग का जिक्र है वो भी बाल ब्रह्मचारी थे. उन्होंने भी कभी विवाह नहीं किया, ठीक हनुमान जी की तरह.
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ये अपने आप में हैरतअंगेज है कि दो अलग-अलग देशों के दो देवताओं के बीच इतनी ज्यादा समानता हो. सच क्या है, कहना मुश्किल है लेकिन ये भी सच है कि जहां विज्ञान और सवालों की हद खत्म होती है, आस्था का संसार वहीं से शुरू होता है.
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