इलाहाबाद. ट्रांसजेंडर के लिए रेल यात्रा, रोडवेज और वायु सेवाओं की टिकटों में अलग कॉलम ना होने के खिलाफ दायर याचिका को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने स्वीकार कर लिया है. हाईकोर्ट ने इसे संविधान के अनुसार मूल अधिकारों का हनन बताया है.
याचिका में कहा गया है कि हर व्यक्ति को सम्मान का अधिकार है. संविधान भी ट्रांसजेंडर को सम्मान के साथ जीने का हक देता है. याचिकाकर्ता का कहना है कि टिकट बुक करते समय फार्म में स्त्री-पुरूष का ही विकल्प दिया जाता है, जिस कारण ट्रांसजेंडर को मजबूरन दोनों में से कोई एक विकल्प का चुनाव करना पड़ता है.
रिपोर्ट्स के मुताबिक दो जजों की बेंच ने 6 हफ्तों के भीतर केंद्र सरकार, सिविल एविएशन विभाग, रेल और रोडवेज विभागों से इसको लेकर जवाब मांगा है. वहीं याचिका में भारत सरकार के नागरिक उड्डयन विभाग, रेल मंत्रालय, रोड ट्रांसपोर्ट और हाईवेज विभाग को पक्षकार बनाया है.