नई दिल्ली. मोदी सरकार भले ही जोर-शोर से स्टार्टअप इंडिया की कामयाबी की गाथा गा रही है, लेकिन इसकी सच्चाई कुछ और ही है.
QUARTZ इंडिया में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक बीत दो साल में करीब 40 फीसदी स्टार्टअप अपनी दुकान समेट चुके हैं.
रिपोर्ट के मुताबिक भारत में जून 2014 से लेकर अबतक 2281 स्टार्टअप्स ने ई-कॉमर्स, हेल्थ टेक्नोलॉजी, रोबोटिक्स, लॉजिस्टिक्स, बिजनस इंटेलिजेंस, फूड टेक्नोलॉजी सहित कई क्षेत्रों में हाथ आजमाने की कोशिश की, लेकिन दिल्ली की रिसर्च कंपनी Xeler8 और 997 की रिपोर्ट की मानें तो ये सभी स्टार्टअप बुरी तरह से फेल हो गए हैं.
Xeler8 कंपनी के फाउंडर ऋषभ लावनिया का कहना है कि स्टार्टअप के फेल होने का सबसे बड़ा कारण फंडिंग में कमी है. ऐसी खराब स्थिति स्टार्टअप इंडिया के लॉन्चिंग के शुरूआती 12 महीनों में देखा गया है.
सबसे ज्यादा फेल होने वालों की संख्या ई-कॉ़मर्स, फूड टेक्नोलॉजी और लॉजिस्टिक्स के क्षेत्रों से है. इनमें से कुछ सफल भी हुए, वहीं कुछ स्टार्टअप बाजार की मांग के अनुरूप नहीं चलने के कारण और सेक्टर में ज्यादा भीड़ होने की वजह से फेल हो गए.
ई-कॉमर्स के क्षेत्र में फेल होने वालों में
DoneByNone, Dazo, Spoonjoy शामिल हैं, वहीं फूड के क्षेत्र में
Eatlo जैसे स्टार्टअप बुरी तरह से नाकाम रहे हैं. वहीं रिक्रूटमेंट करने वाले स्टार्टअप TalentPad.com और लॉन्डरी सर्विस देने वाले स्टार्टअप भी असफल हुए हैं. रिपोर्ट के मुताबिक 75 फीसदी स्टार्टअप्स ऐसे हैं जिन्होंने फेल होने के बाद दोबारा कोशिश नहीं किया. फेल होने वाले इन स्टार्टअप में अधिकतर की उम्र 27 साल थी.
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