पाकिस्तान से भारत यह कहने की योजना बना रहा है कि वह भगोड़े अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम और सर्वाधिक वांछित आतंकियों हाफिज सईद और जकीउर रहमान लखवी की संपत्ति को जब्त करे. क्योंकि इन तीनों के नाम संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की अल-कायदा प्रतिबंध सूची में शामिल हैं, जिससे इस्लामाबाद की जिम्मेदारी बनती है कि वह इनकी संपत्तियों को जब्त करे.
नई दिल्ली. पाकिस्तान से भारत यह कहने की योजना बना रहा है कि वह भगोड़े अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम और सर्वाधिक वांछित आतंकियों हाफिज सईद और जकीउर रहमान लखवी की संपत्ति को जब्त करे. क्योंकि इन तीनों के नाम संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की अल-कायदा प्रतिबंध सूची में शामिल हैं, जिससे इस्लामाबाद की जिम्मेदारी बनती है कि वह इनकी संपत्तियों को जब्त करे.
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की अलकायदा और तालिबान प्रतिबंध समिति ने दाऊद, लश्कर-ए-तैयबा के संस्थापक सईद और मुंबई आतंकी हमले के मास्टर माइंड लखवी का नाम सूची में शामिल कर रखा है और इन पर प्रतिबंध लगा रखे हैं. एक सरकारी अधिकारी ने कहा, ‘संयुक्त राष्ट्र का सदस्य देश होने के नाते, इन लोगों की संपत्ति को जब्त करना पाकिस्तान की जिम्मेदारी है. पाकिस्तान से यह पूछने के लिए कि इन तीन आतंकियों की संपत्ति की जब्ती की गई है या नहीं, हम उसे एक औपचारिक पत्र भेजने की योजना बना रहे हैं. यदि ऐसा नहीं किया गया है तो हम उसे तत्काल संपत्ति को जब्त करने के लिए कहेंगे.’
इस समिति की स्थापना संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव 1264 (1999) के आधार पर की गई थी. यह समिति सुरक्षा परिषद का एक सहायक अंग है, जो सदस्य देशों द्वारा तीन प्रतिबंधकारी उपायों के क्रियान्वयन किए जाने पर नजर रखती है. ये प्रतिबंधकारी उपाय हैं- संपत्ति की जब्ती, यात्रा प्रतिबंध और हथियार प्रतिबंध. ये प्रतिबंध अलकायदा से जुड़े उन लोगों और संगठनों के खिलाफ लगाए जाते हैं, जिन्हें समिति ने अपनी प्रतिबंध सूची में शामिल किया होता है. भारत यह कहता रहा है कि साल 1993 में मुंबई में हुए सिलसिलेवार बम धमाकों का प्रमुख आरोपी दाऊद पाकिस्तान में है. हालांकि इस्लामाबाद इस बात को नकारता रहा है.
हाफिज सईद पाकिस्तान में पूरी आजादी से घूमता है जबकि लखवी को पिछले माह रावलपिंडी जेल से रिहा कर दिया गया. वह पाकिस्तान में ही रह रहा है. संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की प्रतिबंध सूची में दाऊद को साल 2003 में, सईद को साल 2008 में और लखवी को भी साल 2008 में डाला गया था. भारत की ओर से पत्र कूटनीतिक माध्यम से भेजे जाने की संभावना है.
IANS