नरेंद्र मोदी के धुर विरोधी रहे बीजेपी के पूर्व महासचिव संजय जोशी के समर्थन में लगा पोस्टर आज फिर चर्चा में है. इस बार पोस्टर में ये मांग की गई है कि संजय जोशी को पार्टी में अहम पद दिया जाए. संजय जोशी को बीजेपी में अहम पद दिलाने के लिए दिल्ली में बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह और वरिष्ठ नेता आडवाणी के घर के बाहर पोस्टर लगे हैं.
नई दिल्ली. नरेंद्र मोदी के धुर विरोधी रहे बीजेपी के पूर्व महासचिव संजय जोशी के समर्थन में लगा पोस्टर आज फिर चर्चा में है. इस बार पोस्टर में ये मांग की गई है कि संजय जोशी को पार्टी में अहम पद दिया जाए. संजय जोशी को बीजेपी में अहम पद दिलाने के लिए दिल्ली में बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह और वरिष्ठ नेता आडवाणी के घर के बाहर पोस्टर लगे हैं.
संजय जोशी पीएम के सफाई अभियान का समर्थन कर चुके हैं. उन्हें अपना नेता मान चुके हैं. इसके बाद पोस्टर में लिखा है- पहले हो अपने घर से शुरूआत. फिर जाओ जनता के पास. करते हो भाजपा में लोकतंत्र की बात तो फिर फिर संजय जोशी जिंदाबाद. आपको बता दें कि संजय जोशी के जन्मदिन के पोस्टर लगाने पर मंत्री श्रीपाद नाईक के पीए की छुट्टी हो चुकी है.
कौन हैं संजय जोशी?
संजय जोशी बीजेपी और आरएसएस में कई अहम पदों पर रह चुके हैं. संजय जोशी का शुमार बीजेपी में उन ताकतवर नेताओं में होता है जिन्हें शायद आम जनता ठीक से नहीं जानती लेकिन पार्टी में उनका कद काफी ऊंचा था. 1980 के दशक में बीजेपी के मौजूदा अध्यक्ष नितिन गडकरी और संजय जोशी नागपुर में आरएसएस की एक ही शाखा में काम किया करते थे. इसीलिए आरएसएस के साथ साथ उनकी बीजेपी के कार्यकर्ताओं में भी अच्छी लोकप्रियता है. खास तौर से जो जमीन से जुड़े कार्यकर्ता संजय जोशी के सबसे ज्यादा करीब है और तो और पार्टी छोड़ चुके पुराने नेता भी संजय जोशी की तारीफ करते नहीं थकते.
संजय जोशी मूल रूप से नागपुर के हैं. उन्होंने मैकेनिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की है. मैकेनिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने के बाद वो सीधे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के साथ जुड़ गए. वो संघ के रास्ते बीजेपी में आए और उन्हें बीजेपी को मजबूत बनाने के लिए पहली बड़ी जिम्मेदारी गुजरात की दी गई. वो 1990 में महाराष्ट्र से गुजरात आए. 1995 में गुजरात में बीजेपी की पहली बार सरकार बनीं उस वक्त वो गुजरात बीजेपी के महासचिव बनाए गए. जोशी करीब तेरह साल तक गुजरात में रहे और बीजेपी के सबसे ताकतवर नेताओं में से एक रहे.
साल 2001 में नरेंद्र मोदी से खटपट होने के बाद वो दिल्ली आ गए. दिल्ली में उन्हें बीजेपी ने संगठन को मजबूत बनाने के लिए महासचिव बनाया. जोशी को सबसे बड़ा धक्का लगा जब 2005 में कथित सीडी कांड में उनका नाम आया और उन्हें पार्टी में अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा था. लेकिन सीडी कांड में क्लीन चिट मिलने के बाद उन्हें फिर से पार्टी में अहम रोल अदा करने का मौका मिला. बीजेपी ने जोशी को उत्तर प्रदेश के 2012 के विधानसभा चुनावों की बाग़डोर सौंप दीं. हालांकि इन चुनाव में बीजेपी कोई कमाल नहीं कर पाई.
IANS